watch-tv

बाबूजी मैं शून्य ज़रूर हूं ! पर जिस आंकड़े से जुड़ता हूं उसे 10 गुणा बढ़ा देता हूं

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

अच्छे लोगों का स्वभाव शून्य जैसा होता है,जिनके साथ वे जुड़ते हैं,उनकी सम्मान रूपी कीमत 10 गुणा बढ़ जाती है

वर्तमान कलयुग में स्वार्थ की अंधी दौड़ में,सुसंस्कृति,आचरण दूरदर्शिता परोपकारी मनोवृति जैसे अनेक गुणों के धनी व्यक्तित्वों को प्राथमिकता देना ज़रूरी-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां में हर देश में बड़े बुजुर्गों, महामानवों, कुशल व्यक्तित्व विद्वानों बुद्धिजीवियों के अनमोल विचारों का खज़ाना भरा हुआ है, परंतु आज कलयुग के स्वार्थ की अंधी दौड़ में कोई उन विचारों पर चलने की मानसिकता नहीं बना पा रहा है, क्योंकि कुछ भी किसी का काम करने के पहले हम सोचते हैं,इसमें हमें क्या मिलेगा, हमारा क्या फायदा होगा?, बस!! यही से स्वार्थ का दंश शुरू हो जाता है। दूसरी ओर इसी स्वार्थ के चलते यदि हम समझते हैं कि,यह व्यक्ति हमारे किसीकाम का नहीं सिर्फ शून्य है तो हम उसे कोई भाव नहीं देते, करीब क़रीब हर व्यक्ति, संस्था, राजनीतिक पार्टी, संगठन समितियां, धार्मिक, आध्यात्मिक हर कोई संस्था हर कोई उसे निकाल बाहर करती है, परंतु कई ऐसे सौभाग्यशाली अपवाद के रूप में है जो उन शून्य को भी भाव व सम्मान देते हैं जो तारीख से काबिल है।आज हम यह बातइसलिए कह रहे हैं, क्योंकि 10 अगस्त 2024 को किसी मीडिया कंपनी ने मेरे नाम पर एक सुविचार भेजे,जो अच्छे लोगों का स्वभाव शून्य जैसा होता है,जैसे शून्य की कोई कीमत नहीं होती मगर शून्य जिसकी गिनती के साथ होता है उसकी कीमत बढ़ जाती है। बस!! मैं उसी समय इस सुविचार को उठाया और रिसर्च कर आर्टिकल लिखना शुरू किया। हम भारत के महामानवो बड़े बुजुर्गों की कहावतें, विचारों की करें तो, चींटी को भी कम नहीं आंकना हाथी के कान में घुस जाए तो समस्या मृत्यु का कारण बन सकती है। दुश्मनों को कमजोर मत समझना किसी की ईमानदारी का गलत फायदा नहीं उठाना व किसी को शून्य या कम आकलन नहीं करना, जैसे अनेकों सुविचार हम सुनते जरूर हैं, परंतु हम उन्हें निगलेट कर देते हैं जो हमें बाद में भारी पड़ जाते हैं, जिसका सटीक उदाहरण हम अपने दैनिक जीवन में रोज़ देख सकते हैं। आज एक ट्रेंड से चल पड़ी है कि, प्रोफेशनल व्यापारिक व्यावसायिक संस्थानों में तो छोड़ दो, परंतु आध्यात्मिक धार्मिक सामाजिक संस्थाओं संगठनों में भी जो कार्यकर्ता या सेवादारी शून्य है, यानी किसी काम के नहीं है तो, उन्हें निकाल बाहर कर दिया जाता है, याने स्वार्थ व अवगुणों का ऐसे संगठनो में भी दिखना दुरभाग्य पूर्ण है। चूंकि उनका प्राथमिक उद्देश्य ही मानव कल्याण या मानव सेवा है, उनको यह समझना चाहिए कि उस शून्य का भी सही उपयोग किया जाए तो, उसको सम्मान देकर सच्चा सहयोग या सेवा की जाए तो,10 गुना प्रत्यक्ष फल या आध्यात्मिक परमार्थ का भाग बन जा सकता है। क्योंकि एक में अगर हम 0 जोड़ दें तो 10 ही होगा।याने एक शून्य यदि किसी में जुड़ता जाए तो उसका मूल्यांकन 10 गुना बढ़ाते जाता है, क्योंकि अच्छे लोगों के का स्वभाव शून्य जैसा होता है जिसके साथ जोड़ते हैं उनका सम्मान रूपी कीमत 10 गुना बढ़ जाती है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वर्तमान युग में स्वार्थ की अंधी दौड़ में सुसंस्कृत आचरण, दूरदर्शीता व परोपकारी मनोवृति जैसे अनेक गुना के धनी व्यक्तिवाओं को प्राथमिकता देना ज़रूरी है।
साथियों बात अगर हम जिनको शून्य समझा जाता ऐसे अच्छे लोगों के स्वभाव की करें तो,जिसके स्वभाव में प्रेम रचा-बसा है, वह जो भी सोचता है प्रेममय ही सोचता है, शांति से सोचता है। ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आने वाले प्रत्येक को प्रेम और शांति की ही अनुभूति होगी। हमें सभी के साथ विनम्रता और करुणा पूर्वक व्यवहार करना चाहिए। इसलिए नहीं कि वे लोग अच्छे हैं, बल्कि इसलिए कि हम अच्छे हैं। एक विचित्र सी मनोवृत्ति हम सब की यह होती है कि हम अपने प्रति किया गया दूसरों का व्यवहार तो बड़ी बारीकी से परखते हैं लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं देते कि हम लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?लाखों की गाड़ी एक चाबी और एक ब्रेक पर और करोड़ों का घर एक छोटे से ताले और चाबी पर निर्भर रहता है। उसी तरह हमारा व्यक्तित्व भी हमारी सोच और स्वभाव पर निर्भर करता है। सोच हमारा मन है और व्यवहार हमारा कर्म। हमारे स्वभाव से हमारी पहचान बनती है। हमारा स्वभाव जैसा होता है, हमारा मन भी वैसा होता है और हम वैसा ही व्यवहार और कर्म करते हैं।संस्कार और स्वभाव बदलते नहीं।यदि बदल सकते तो मुरलीवाला दुर्योधन की सोचबदल देता और महाभारत न होती।स्वभाव बदलना मुश्किल है तो हम अपने व्यवहार में तो परिवर्तन जरूर ला सकते हैं।व्यवहार में सकारात्मकता आते ही हमारा व्यक्तित्व निखर उठता है। इसलिए स्वभाव चाहे कैसा भी हो, व्यवहार हमेशा सही रखें। क्योंकि दुनिया हमारा आचरण देखकर ही हमारी तरफ बढ़ती है। व्यवहार किसी को दोस्त भी बना सकता है, किसी को विरोधी भी। हम लोगों के साथ किस तरह मिलते-जुलते हैं, बात करते हैं इसके आधार पर ही लोग हम पर प्यार लुटाएंगे। सलीके से पहने परिधान और आकर्षक चेहरे से हमारे व्यक्तित्व पर प्रभाव तो पड़ता है। लेकिन हमारी भाषा और अपने संपर्क में आने वाले लोगों से बोल-चाल और हमारी भाव-भंगिमा ही हमारे व्यक्तित्व के सबसे बड़े निर्धारक होते हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार विचार विचारों की समझ, सुसंस्कृत आचरण, दूरदर्शिता, कार्य करने के तरीके और जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण से संपूर्ण व्यक्तित्व बनता है। व्यवहार या बातचीत में थोड़ी सी भी असावधानी से अकारण ही कितनी गलतफहमियां जन्म ले लेती हैं। इन गलतफहमियों की वजह से ही बहुत से विवाद और मनमुटाव होते हैं। सजग और सतर्क रहते हुए मधुरतापूर्ण वार्ता करेंगे तो शायद रोज-बरोज की छोटी-छोटी किचकिच कम हो सकती है और बहुत सी उलझनें सुलझ जाएंगी। हम सब अलग-अलग हैं, सभी का स्वभाव अलग-अलग होता है, इसलिए लोगों का व्यवहार हर बार अलग मिलेगा। इस कारण हम व्यवहार को लेकर सभी के साथ एक जैसा मानदंड नहीं अपना सकते। हमारा अपना एक मूल स्वभाव है। इसका अर्थ यह नहीं कि अलग-अलग लोगों से व्यवहार करने के लिए हम अपना व्यवहार भी बार-बार बदलें। बदल ही नहीं सकते। पर हम बात करने का तरीका बदल सकते हैं, लहजा बदल सकते हैं, भाषा बदल सकते हैं। बड़ों से व्यवहार करते समय विनम्र होना, दोस्तों के साथ मजाकिया होना, बच्चों के साथ कुछ समय के लिए बच्चे भी बन सकते हैं। हमें समय, परिस्थिति और व्यक्ति के हिसाब से अपना व्यवहार चुनना चाहिए। सदैव हां ही नहीं, न कहना भी और मृदु बने रहने के साथ थोड़ा कड़ा व्यवहार भी कभी-कभी जरूरी होता है।
साथियों बात अगर हम अच्छे व्यक्तित्व के गुणों की करें तो एक अच्छे व्यक्तित्व में क्या-क्या गुण होते हैं ?(1) सबसे पहले तो आज‌ के युग में आत्मनिर्भर बनना। लड़का और लड़की दोनों के लिए यह बात लागू होती है।
(2)जीवन में परिवार एवं परिवार के लोगों के महत्व को समझना एवं उनके लिए कुछ भी करने के लिए यथासंभव हर कोशिश करना।(3) अहम की जगह हम को सर्वोपरि रखना। अहम वहीं रखना सही है, जहाँ खुद के अपमान किए जाने की नौबत आए।(4)अपनी नौकरी को कभी बुरा भला नहीं कहना क्योंकि वही हमारी रोजी- रोटी है।(5) यथासंभव खुद से जुड़े लोगों की मदद करना। चेहरे पर सच्चे मुस्कान का गहना सबसे चमकदार होता है, इस बात को गांठ बांध कर रखना और किसी से बात करते समय अपनी मुस्कुराहट को साथ रखना।(6)रिश्ते तोड़ने में नहीं जोड़कर रखने में विश्वास रखना। रिश्ते बनाए रखने के लिए माफी मांगने में और माफ कर देने में विश्वास रखना।‌(7)अच्छा वक्ता के साथ ही अच्छा श्रोता होना ताकि आप सामने वालों की बातें सुन समझ सकें।(8)रुपये का सही सदुपयोग करना, ताकि किसी भीविषम परिस्थितियों में किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े (9)अपने आपको हमेशा आज के हिसाब से, तकनीकी रूप से अपडेट रखना, चाहे आप किसी भी उम्र के क्यों न हों ?(10)किसी भी परिस्थितियों में घर-बाहर, सभी तरह के काम करने में अपने आपको ढालने की क्षमता होना।
(11)अपने हर काम के लिए किसी पर भी यथासंभव कम से कम निर्भर रहना।(12)किसी से भी इतनी ज्यादा अपेक्षा न रखना कि उसके न पूरा होने पर दुखी होने की नौबत आए।(13)जिओ और जीने दो के सिद्धांत में विश्वास करना।(14)अपनी उन्नति और प्रगति के लिए अपनी तुलना किसी और से न करके खुद से ही करके खुद को बेहतर बनाना।(15)नकारात्मक सोच की जगह चीजों को देखने का सकारात्मक तरीका होना।(16) हमसे जुड़े जो लोग हैं, उन्होने कुछ अच्छा काम किया है तो उनके काम की खुले दिल से प्रशंसा करना। प्रसंशा करना एक ऐसा गुण है जो सामने वाले को तो खुशी देता ही है, स्वयं आपको दुगुनी खुशी देता है।
साथियों बात अगर हम अच्छे स्वभाव के व्यक्तित्वो की करें तो,अच्छे स्वभाव वाले लोग कई तरह के होते हैं, लेकिन कुछ सामान्य गुण हैं जो उन्हें अक्सर एक दूसरे से जोड़ते हैं: दयालुता और करुणा: वे दूसरों की भावनाओं को समझते हैं और उनकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैंईमानदारी और सच्चाई: वे हमेशा सच बोलते हैं और अपने वादे निभाते हैं।विनम्रता: वे घमंडी नहीं होते हैं और दूरों का सम्मान करते हैं।क्षमाशीलता: वे दूसरों की गलतियों को माफ कर देते हैं और उनसे बदला नहीं लेते हैं सकारात्मक दृष्टिकोण: वे जीवन में अच्छाई देखते हैं और मुश्किलों का सामना करते समय भी हार नहीं मानते हैं।आत्म-नियंत्रण: वे अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं और गुस्से या निराशा में काम नहीं करते हैं।सहानुभूति: वे दूसरों के विचारों और भावनाओं को समझ सकते हैं।कृतज्ञता: वे जो कुछ भी उनके पास है उसके लिए आभारी हैं आशावादी: वे मानते हैं कि भविष्य अच्छा होगा, भले ही वर्तमान में मुश्किलें हों।यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है, और अच्छे स्वभाव वाले लोग भी कभी-कभी गलतियाँ करते हैं।लेकिन, वे आमतौर पर अपने गलतियों से सीखते हैं और बेहतर बनने का प्रयास करते हैं।यदि आप एक अच्छे स्वभाव वाले व्यक्ति बनना चाहते हैं, तो आप इन गुणों को विकसित करने का प्रयास कर सकते हैं।यह आसान नहीं होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से इसके लायक होगा।अच्छे स्वभाव वाले लोग जीवन में खुशी और सफलता प्राप्त करने की अधिक संभावना रखते हैं, और वे दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बाबूजी मैं शून्य ज़रूर हूं ! पर जिस आंकड़े से जुड़ता हूं उसे 10 गुणा बढ़ा देता हूं।अच्छे लोगों का स्वभाव शून्य जैसा होता है,जिनके साथ वे जुड़ते हैं,उनकी सम्मान रूपी कीमत 10 गुणा बढ़ जाती है।वर्तमान कलयुग में स्वार्थ की अंधी दौड़ में, सुसंस्कृति, आचरण,दूरदर्शिता परोपकारी मनोवृति जैसे अनेक गुणों के धनी व्यक्तित्वों को प्राथमिकता देनाज़रूरी है।

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

Leave a Comment