चंडीगढ/यूटर्न/10 अगस्त: चंडीगढ़ पीजीआई के अनुबंध कर्मियों की विभिन्न यूनियन को बड़ा झटका देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उनकी हड़ताल पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही यूनियन के प्रधान के पीजीआई में प्रवेश पर अगले आदेश तक प्रतिबंध लगा दिया है। हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन और केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि हड़ताल न होने के आदेश का पालन हो व पीजीआई की दैनिक गतिविधियां किसी भी स्थिति में प्रभावित न होने दी जाएं। साथ ही कर्मचारियों की मांग पर विचार कर उचित निर्णय लिया जाए। याचिका दाखिल करते हुए पीजीआई चंडीगढ़ की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार ने 12 दिसंबर, 2014 को आदेश जारी कर अनुबंध कर्मियों की व्यवस्था को समाप्त करने का आदेश दिया था। इसके बाद से ही लगातार अनुबंध कर्मचारी सेवा नियमित करने की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले पीजीआई के कर्मचारियों ने हड़ताल की घोषणा की थी और तब हाईकोर्ट ने हड़ताल के आदेश पर रोक लगाते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि यूनियन पीजीआई की व्यवस्था में बाधा नहीं बनेंगी। अब पीजीआई चंडीगढ़ ने हाईकोर्ट को बताया कि सफाई कर्मचारी, सिक्योरिटी गार्ड, अस्पताल अटेंडेंट व इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन व उनकी जॉइंट एक्शन कमेटी ने हड़ताल का निर्णय लिया था और परिसर में नारेबाजी आरंभ कर दी थी। पीजीआई के दखल के बाद 21 जनवरी को संस्थान व कर्मियों की बैठक हुई थी और इसके बाद 29 जनवरी को दोबारा बैठक हुई, जिसमें कर्मियों ने अपनी मांगों को दोहराया। अब कर्मचारी 8 अगस्त से हड़ताल पर चले गए हैं और इससे ओपीडी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि हम कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी स्थिति में बाधित नहीं होनी चाहिए। कर्मचारी यूनियन की हड़ताल पर हाईकोर्ट रोक लगा चुका है ऐसे में अब यह चंडीगढ़ प्रशासन की जिंमेदारी है कि हमारे आदेश का किसी भी प्रकार से उल्लंघन न हो और पीजीआई का दैनिक कार्य किसी भी स्थिति में प्रभावित न हो। पीजीआई में रोजाना हजारों लोग इलाज के लिए आते हैं और उन्हें इससे महरूम नहीं किया जा सकता।
प्रधान को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
पीजीआई ने बताया कि यूनियन का प्रधान अश्विनी कुमार मुंजाल है, जो नियमित कर्मचारी था और अब रिटायर हो चुका है। उसका अब पीजीआई से कोई लेना-देना नहीं है और हाईकोर्ट उसके पीजीआई में प्रवेश पर रोक लगा चुका है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली। इस पर हाईकोर्ट ने अब उसके पीजीआई में प्रवेश पर रोक का आदेश जारी रखा है।
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