चंडीगढ/यूटर्न/9 अगस्त: मेट्रो परियोजना पर केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ को जोरदार झटका दिया। चंडीगढ़ में मेट्रो के काम में देरी क्यों की जा रही है, इस सवाल पर केंद्र ने जवाब दिया कि चंडीगढ़ में मेट्रो चलाने के लिए यूटी प्रशासन की तरफ से सरकार को कोई आधिकारिक प्रस्ताव ही नहीं मिला है। केंद्र सरकार के इस जवाब से हलचल मच गई है। भाजपा के नेताओं को भी यह जवाब हैरान कर रहा है। शहर के सांसद मनीष तिवारी ने संसद में पूछा कि चंडीगढ़ मेट्रो रेल परियोजना के लिए कितने का फंड मंजूर हुआ है और अब तक कितना रुपया खर्च हुआ है। कितने फेज में मेट्रो का निर्माण होना है और अब तक मेट्रो का काम कहां तक पहुंचा है। यह भी पूछा कि मेट्रो के काम में देरी क्यों की जा रही है और क्या मेट्रो के काम को पूरा करने के लिए कोई टाइमलाइन तय की गई है। सांसद के सवालों पर आवास एवं शहरी मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने जवाब दिया कि चंडीगढ़ में मेट्रो परियोजना का कोई प्रस्ताव चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से केंद्र सरकार को नहीं मिला है। अर्बन प्लानिंग राज्य से संबंधित मामला है। योजना बनाना और अर्बन ट्रांसफर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का काम संबंधित राज्य व प्रशासन का ही होता है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति (एनयूटीपी) 2006, मेट्रो रेल नीति-2017 और ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट पॉलिसी-2017 तैयार की है जो योजना और कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार व यूटी प्रशासन के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार व यूटी प्रशासन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव की व्यवहार्यता और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर शहरी रेल आधारित प्रणाली के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
अभी स्थानीय स्तर पर ही चल रहा काम
केंद्र सरकार का जवाब सही है क्योंकि अभी मेट्रो परियोजना को लेकर स्थानीय स्तर पर ही काम चल रहा है। चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा ने राइट्स को योजना का काम सौंपा है। राइट्स ने सर्वे कर अल्टरनेटिव एनालिटिकल रिपोर्ट (एएआर) तैयार कर ली है, जिसे मंजूरी के लिए यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यूएमटीए) को भेजी गई है। यूएमटीए की अध्यक्षता पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक करते हैं, जिसमें पंजाब और हरियाणा के अधिकारी भी शामिल हैं। जब यह कमेटी एएआर को मंजूरी देगी तो मेट्रो परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का काम शुरू होगा। डीपीआर बनने में भी करीब एक साल का समय लगेगा। दोबारा यूएमटीए की बैठक में डीपीआर को मंजूरी दी जाएगी। उसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन डीपीआर को केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजेगा। यही चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से मेट्रो परियोजना का आधिकारिक प्रस्ताव होगा।
राइट्स ने ट्रैफिक, वाहनों की संखया और पैदल चलने वाले यात्रियों पर की है स्टडी
राइट्स ने एएआर में ट्रैफिक, वाहनों की संखया, पैदल चलने वाले यात्रियों समेय अन्य पर डिटेल स्टडी की है। कहा है कि ट्राइसिटी (चंडीगढ़, मोहाली, पंचकूरा), खरड़, न्यू चंडीगढ़ और जीरकपुर में 80 फीसदी यात्राएं वाहन से जबकि 20 फीसदी यात्राएं पैदल होती हैं। दो पहिया वाहनों द्वारा की जाने वाली यात्राएं लगभग 34 फीसदी हैं। कुल यात्राओं का बस से सफर करने का हिस्सा लगभग 5.3 फीसदी हिस्सा है जबकि कारों द्वारा की जाने वाली यात्राएं 9.3 फीसदी हैं। लगभग 26.3 लाख मोटर चालित आंतरिक यात्राएं, लगभग 50 फीसदी यात्राएं वाहन से और 10 फीसदी पैदल यात्राएं काम और व्यवसाय के उद्देश्य से की जाती हैं।
वर्ष 2011 में 5.13 लाख, 2019 में 11.58 लाख हो गए वाहन
चंडीगढ़ में प्रति व्यक्ति कार स्वामित्व देश में सबसे अधिक है। वर्ष 2019 के अनुमान के अनुसार, प्रति 1000 लोगों पर लगभग 251 कारें हैं। अकेले चंडीगढ़ में 2023 में 53,223 मोटर वाहन पंजीकृत हुए हैं। वर्ष 2020 से 2023 के बीच ही चंडीगढ़ की सडक़ों पर 1,73,466 वाहन उतरे हैं। पंजीकृत वाहनों की संखया 2011 में 5.13 लाख से लगभग दोगुनी होकर 2019 में 11.58 लाख हो गई है। 2019 के बाद भी करीब दो लाख वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। पंजीकृत कुल वाहनों में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी और कार/जीप की हिस्सेदारी लगभग 36 फीसदी है। लोग अपनी गाडिय़ों में ही चलना पसंद कर रहे हैं, इस वजह से सडक़ों पर जाम बढ़ता जा रहा है।
प्रस्तावित मेट्रो के तीन कॉरिडोर
कॉरिडोर 1 न्यू चंडीगढ़ के पारौल से पंचकूला के सेक्टर-28 वाया चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन (30 किमी)
कॉरिडोर 2 रॉक गार्डन से आईएसबीटी जीरकपुर वाया चंडीगढ़ एयरपोर्ट (27.5 किमी)
कॉरिडोर 3 सेक्टर-39 के अनाज मंडी चौक से सेक्टर-26 के ट्रांसपोर्ट लाइट चौक तक (13 किमी)
परियोजना अभी ड्राइंग बोर्ड के स्तर पर
मनीष तिवारी, सांसद का कहना था कि ऐसा लगता है कि पिछले दस सालों में कुछ भी नहीं हुआ है। केंद्र के जवाब से स्पष्ट है कि परियोजना अभी भी ड्राइंग बोर्ड के स्तर पर है और शहरी मामलों के मंत्रालय को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी नहीं सौंपी गई है। शायद वित्तीय पहलुओं पर भी काम नहीं किया गया है जबकि देशभर के कई शहरों ने अपनी मेट्रो का संचालन शुरू कर दिया है और चंडीगढ़ में परियोजना अभी भी बहुत ही प्रारंभिक चरण में है।
जवाब हजम नहीं हो रहा
जेपी मल्होत्रा, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा ने कहा कि यह जवाब हजम नहीं हो रहा है क्योंकि कुछ दिन पहले ही मैंने और संजय टंडन ने दिल्ली में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल से मुलाकात की थी और मेट्रो को लेकर विस्तार से चर्चा की थी। केंद्रीय मंत्री भी मेट्रो को लेकर काफी उत्साहित थे और उन्होंने हरसंभव मदद का भी आश्वासन दिया है। फिर भी मैं आश्वासन देता हूं कि शहर में जल्द मेट्रो दौड़ेगी।
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