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वक्फ एक्ट में बड़ा संशोधन करने की तैयारी में हैं केंद्र सरकार, कैबिनेट की मंजूरी मिली

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संशोधन के बाद किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति नहीं बता सकेगा फिर से वक्फ बोर्ड

नई दिल्ली 4 अगस्त। अब केन्द्र सरकार जल्द ही एक और बड़ा कानूनी-कदम उठाने जा रही है। सरकार ने मौजूदा वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधन करने के लिए कमर कस ली है। इसे लेकर सरकार एक नया बिल ला सकती है। अभी वक्फ बोर्ड के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति है। नए बिल में उसकी इस लीगल-पावर पर रोक लग सकती है।
विभागयी सूत्रों को मुताबिक गत दिनों कैबिनेट बैठक में इस बिल को लेकर मंजूरी भी मिल गई। प्रस्तावित बिल में मौजूदा एक्ट की कुछ धाराओं को हटाया जा सकता है। संसद का मानसून सत्र अभी 12 अगस्त तक चलना है। वक्फ एक्ट में संशोधन की अटकलों को लेकर एआईएमआईएम अध्यक्ष
असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो जब संसद सत्र चल रहा है तो केंद्र सरकार संसद की सर्वोच्चता और विशेषाधिकारों के खिलाफ काम कर रही है। वहीं इसकी जानकारी संसद को देने की बजाए मीडिया को दे रही है। वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर मीडिया में जो भी कहा जा रहा है, उससे यह पता चलता है कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की ऑटोनॉमी छीनना चाहती है। उसमें दखल देना चाहती है, यह धर्म की स्वतंत्रता के खिलाफ है।
दूसरी बात यह है कि भाजपा हमेशा से इस बोर्ड और वक्फ की संपत्तियों के खिलाफ रही है। उनका हिंदुत्व का एजेंडा है। अब अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में बदलाव करना चाहते हैं तो इससे प्रशासनिक स्तर पर अव्यवस्था होगी। वक्फ बोर्ड की ऑटोनॉमी खत्म होगी। अगर सरकार वक्फ बोर्ड पर अपना कंट्रोल बढ़ाएगी तो उसकी आजादी पर बंदिश लगेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से ओवैसी ने कहा कि अगर कोई विवादित संपत्ति है तो ये लोग कहेंगे कि वह विवादित है, हम उसका सर्वे कराएंगे। यह सर्वे भाजपा के मुख्यमंत्री करेंगे और आप जानते ही हैं कि इसके नतीजे क्या होंगे। इस देश में ऐसी कई दरगाह हैं, जिन्हें लेकर बीजेपी-संघ दावा करते हैं कि ये दरगार और मजार नहीं हैं। इस फैसले से ही न्यायपालिका की शक्ति छीनने की कोशिश की जा रही है। देश में रेलवे और सशस्त्र बल के बाद सबसे ज्यादा जमीन पर मालिकाना हक रखने वाली संस्था वक्फ बोर्ड है।
संशोधनों के बाद किसी भी जमीन पर दावे से पहले उसका वेरिफिकेशन करना होगा। इससे बोर्ड की जवाबदेही बढ़ेगी और मनमानी पर रोक लगेगी। बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी। मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं और शिया और बोहरा जैसे समूह लंबे समय से मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं।
बोर्ड के फैसलों पर हुए विवाद : वक्फ बोर्ड से जुड़े नए बिल के पीछे सितंबर, 2022 के एक मामले की दलील दी जा रही है। इसमें तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने थिरुचेंदुर गांव को अपनी संपत्ति बताया था। जबकि इस गांव की ज्यादातर आबादी हिंदू है। वहीं पिछले साल मई में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में उन 123 संपत्तियों के निरीक्षण की अनुमति दी थी, जिन पर दिल्ली वक्फ बोर्ड अपने कब्जे का दावा करता है। पिछले साल अगस्त में ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इन संपत्तियों को नोटिस भी जारी किया था। पिछली मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने किसी विशेष संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए राज्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके मुतवल्लियों की नियुक्ति के प्रोसेस की समीक्षा की थी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुरहानपुर की तीन ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ बोर्ड की मानने से इंकार कर दिया। अदालत ने वीरवार को एक याचिका पर फैसला देते हुए कहा था कि ये वक्फ बोर्ड की संपत्ति का हिस्सा नहीं हो सकती हैं। तीन इमारतों में से एक शाह शुजा स्मारक, मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बेगम बिलकिस की कब्र है। बुरहानपुर के सैयद रजोद्दिन और सैयद लायक अली की अपील पर मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने 2013 में एक आदेश जारी कर इन तीनों इमारतों को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया ने 2015 में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।
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