इसी अभियान के तहत 119 शिक्षकों की क्षमता निर्माण कार्यशाला में दिए गए टिप्स
लुधियाना 29 जुलाई। जिला प्रशासन ने सोमवार को बाल संसद कार्यक्रम की शुरुआत के लिए पहल की। इसके पहले चरण 50 सरकारी स्कूलों के 119 शिक्षकों के लिए तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला शुरू की गई। कार्यशाला का उद्घाटन एडीसी मेजर अमित सरीन और असिस्टेंट कमिश्नर कृतिका गोयल ने किया। इस कार्यशाला में बताया गया कि शिक्षक स्कूलों में बाल संसद को संस्थागत बनाकर करेंगे। जिनमें स्कूली बच्चों को लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली के बारे में सीखने में मदद करेंगे। वे बच्चों को मतदान प्रणाली, विधायिका की संरचना, संसद, सरकार, मंत्रियों, विपक्ष और अन्य के बारे में भी जानकारी देंगे।
एडीसी मेजर अमित सरीन ने बच्चों से जुड़े विभिन्न मुद्दों के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने देश की चुनाव प्रणाली के बारे में बात की। साथ ही बताया कि बाल संसद एक ऐसा मंच होगा जहां छात्र अपने स्कूल, परिवार, पड़ोसियों, समाज सहित विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। साथ ही अपने अधिकारों के बारे में भी खुलकर बात कर सकेंगे। इसी प्रकार, सहायक आयुक्त कृतिका गोयल ने स्कूलों में बाल संसद के गठन और सुविधा प्रदान करने में शिक्षकों की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों के बच्चों की संसद बाल संसद उनमें नेतृत्व कौशल विकसित करेगी। छात्र नेतृत्व की भूमिका निभाने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और बहस करने में सक्षम होंगे। जिससे उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी और कम उम्र में ही उनकी नागरिक भावना को बढ़ावा मिलेगा। इससे वे एक जिम्मेदार और अच्छे नागरिक भी बनेंगे। विंग्स ऑफ विज्डम फाउंडेशन के विशेषज्ञ अनुजा नाइक और सैमुअल दत्ता ने भी बाल संसद के महत्व और पथप्रदर्शक के रूप में छात्रों पर अपने विचार साझा किए। डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट फेलो अंबर बंधोपाध्याय ने भी भारत के चेंजमेकर्स के रूप में शिक्षकों और छात्रों के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी चर्चा की कि शिक्षकों को सत्र के अंत में निम्नलिखित श्रेणी के तहत सुविधा प्रदान की जाएगी:उत्साही नेता, सेवक नेता, करिश्माई नेता, समय के पाबंद नेता और सहभागी नेता। कार्यशाला को जिला शिक्षा अधिकारी डिंपल मदान ने भी संबोधित किया।
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