लुधियाना 28 July : नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) एवं नीमा वूमेन फोरम ने विश्व हेपेटाइटिस दिवस के उपलक्ष्य में ग्रुप डिस्कशन का आयोजन किया। नीमा के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश थापर, सचिव डॉक्टर नीरज अग्रवाल, संरक्षक डॉ सतेंद्र कक्कड़, मुख्य सलाहकार डॉ रवींद्र बजाज व कोषाध्यक्ष डॉ आरके गर्ग ने बताया कि विश्व हेपेटाइटिस दिवस प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। इस तिथि को नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. बारूक ब्लमबर्ग के जन्मदिन का सम्मान करने के लिए चुना गया था, जिन्होंने 1960 के दशक में हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) की खोज की थी और इसके लिए एक नैदानिक परीक्षण और वैक्सीन विकसित किया था। शुरुआत में यह 19 मई को मनाया जाता था, 2010 में यह तारीख़ बढ़ाकर 28 जुलाई कर दी गई। हेपेटाइटिस एक वायरल संक्रमण है जो लीवर में सूजन का कारण बनता है।इस अवसर पर प्रख्यात लीवर के माहिर डॉ नितिन शंकर बहल ने एक वीडियो संदेश के जरिए नीमा के सदस्यों को संबोधित करते हुए बताया कि लिवर के इंफेक्शन, सोज़श तथा बचाव के प्रति जनसाधारण को जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। लिवर एक अमूल्य अवयव है तथा इसकी रक्षा करना निहायत जरूरी है। इसलिए नशों से दूर रहे, इंजेक्शन या किसी भी प्रकार की सुई हमेशा स्टेरलाइज ही प्रयोग करें, ब्लड हमेशा गवर्नमेंट अप्रूव्ड ब्लड बैंक से ही लें। डॉक्टर बहल के अनुसार टैटू करवाने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसके लिए प्रयोग की जाने वाली सुई तथा स्याही अलग-अलग होनी चाहिए ताकि एक दूसरे से इंफैक्शन ना फैले। मोटापा दूर करने के लिए सुझाव दिया के कंफर्ट जोन से निकले, बैठे नहीं, सैर करें, करीब 10000 कदम रोजाना चले। ज्यादा नहीं तो 5 से 10% वजन जरूर कम कर लें। यह कुछ उपाय करने से हम अपने लिवर को सुरक्षित रख सकते हैं।डॉ थापर,डॉ अग्रवाल,डॉ विपिन बिलगा,डॉ सतविंदर बस्सी,डॉ नवनीत सागर,डॉ सरजीवन शर्मा,डॉ अशोक वर्मा,डॉ कुलदीप राणा,डॉ रमनदीप व डॉक्टर नीरज अरोरा डॉक्टर रणवीर डॉक्टर पी पी सिंह अरोड़ा के अनुसार विश्व हेपेटाइटिस दिवस का इस वर्ष का थीम है “यह कार्रवाई का समय है”। हेपेटाइटिस से निपटने के लिए हमें विश्व स्तर पर एक्टिव होना पड़ेगा तथा निर्णायक एवं तत्काल उपाय अपनाने होंगे। अब हेपेटाइटिस मुक्त दुनिया को साकार करने और हमारे 2030 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए परीक्षण, उपचार और टीकाकरण को प्राथमिकता देने का समय है।
हेपेटाइटिस से बचाव के लिए एतिहात, परीक्षण, उपचार एवं टीकाकरण जरूरी: डॉ नितिन शंकर बहल
Janhetaishi
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