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मुद्दे की बात : पीएम के गृह-राज्य गुजरात में ही सेहत-संकट

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चांदीपुरा वायरस से गुजरात में बच्चे पीड़ित, बाल रोग माहिरों की कमी

बच्चों की सेहत पर खतरा बनकर मंडरा रहा चांदीपुरा वायरस फिलहाल गुजरात में कहर ढाह रहा है। पिछले दो हफ्तों में वहां इसी वायरस से छह बच्चों की मौत होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि, क्या इन बच्चों की मौत चांदीपुरा वायरस के कारण हुई है? इसका पता लगाने के लिए गुजरात सरकार ने बच्चों के ख़ून के नमूने जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी में भेजा हैं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि मच्छरों से होने वाली इस बीमारी का शिकार होने वाले बच्चे की 24 से 48 घंटे के अंदर मौत हो जाती है।

डॉक्टरों के मुताबिक़ इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में मृत्यु दर 85 प्रतिशत है। यह बीमारी की गंभीरता को दर्शाता है। दरअसल मॉनसून के दौरान वायुमंडल में नमी के चलते मक्खियों, मच्छरों और कीड़ों का प्रकोप अपेक्षाकृत बढ़ जाता है। ऐसे में संक्रामक रोग तुरंत फैल जाते हैं। फिलहाल गुजरात में  चांदीपुरा वायरस से संक्रमित मरीजों के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रविवार को सूरत में पहला संदिग्ध मामला सामने आया। यहां एक स्लम एरिया में रहने वाली 11 साल की बच्ची को तेज बुखार और उल्टियां होने पर आईसीयू में भर्ती कराया गया है। राजकोट में भी एक और संदिग्ध मामला सामने आया है। दोनों बच्चों के सैंपल जांच के लिए पुणे प्रयोगशाला भेजे गए हैं।

इस तरह वहां चांदीपुरा वायरस के मामलों की कुल संख्या 73 हो गई है। जबकि मरने वालों की संख्या 27 पर पहुंच गई है। फिलहाल 41 मरीज अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। हाल ही में वडोदरा के सयाजी अस्पताल में चांदीपुरा वायरस से एक और 4 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। अभी तक इस वायरस का असर ग्रामीण इलाकों में देखा जाता था। फिक्र वाली बात यह है कि अब इस वायरस का असर अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट और सूरत जैसे बड़े शहरों में भी देखने को मिल रहा है। चांदीपुरा वायरस को लेकर सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर 104 शुरू किया है, जिसमें इस वायरस के सभी मामलों में इलाज की जानकारी उपलब्ध होगी।

गौरतलब है कि चांदीपुरा वायरस खासतौर पर बच्चों को अपना निशाना बनाता है। यह मुख्य रूप से 9 महीने से 14 साल के बच्चों को प्रभावित करता है। संक्रमण तब फैलता है, जब वायरस मक्खी या मच्छर के काटने पर उनके लार के जरिए रक्त तक पहुंच जाता है। इससे बच्चों के तेज बुखार और सिरदर्द होता है। गुजरात में हर साल इस वायरस के मामले सामने आते हैं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह-राज्य गुजरात में ही सेहत सुविधाएं नाकाफी हैं। इस वायरस से पीड़ित बच्चों को तत्काल माहिर डाक्टरों से इलाज कराने की जरुरत होती है। जबकि गुजरात में बच्चों के माहिर डाक्टर ग्रामीण स्वास्थ्य की स्थिति पर भारत सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2022 तक गुजरात में 344 बाल रोग विशेषज्ञ की आवश्यकता थी। इसके लिए 76 सीटें स्वीकृत की गई थीं। इनमें से भी केवल 30 डॉक्टरों के पद भरे गए हैं और अभी भी 46 पद खाली हैं। ऐसे में चांदीपुरा वायरस के प्रकोप को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन से भी पीड़ित परिवारों की भला किस तरह मदद हो सकेगी, यह बड़ा बुनियादी सवाल है।

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