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जिंदगी से भी हो कोई वादा तेरा, सोच तेरी हो, और इरादा तेरा

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चारु सक्सेना

 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारी जिंदगी में मोटिवेशन न हो तो हमारी जिंदगी बहुत बोझिल और उदास हो जाए,मोटिवेशन जिसे हम अभिप्रेरणा कहते हैं,इसे आसान शब्दों में प्रेरित करना भी कह सकते हैं।इसके महत्व को हम ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह हमारी और आपकी डजंदगी में उत्साह का संचार तो करता ही है साथ ही हमें हमारे जीवन में आगे बढऩे और हममें कुछ कर गुजऱने का जज़्बा और हौसला भी उत्पन्न करता है। ये हमारे अंदर के विश्वास को जगा कर हमारे अंदर उत्साह का संचार करती है या यूं कहें कि ये स्वयं में पूर्णत:सामथ्र्य रखती है कि ये हमारे जीवन के मायने को बदल सके।

 

मोटिवेशन से हम अपनी जिंदगी को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर कर सकते हैं।ये हमारे अंदर आत्मविश्वास की भावना को जागृत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहां हम डॉ. फौजिया नसीम शाद की मोटिवेशनल शायरी को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। जिसे पढ़ कर निश्चित ही आपके जीवन के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आएगा जो आपके जीवन को सार्थक दिशा प्रदान करने में पूर्णत: सफल भी होगा।

 

आइए पढ़ते हैं वो शायरी जो आपके दिल को ही स्पर्श नहीं करेगी बल्कि आपमें आत्मविश्वास की भावना का संचार भी करेगी –

 

* जिंदगी से भी हो कोई वादा तेरा,

 

सोच तेरी हो , और इरादा तेरा।

 

* दूर मंज़िल कभी नहीं होगी,

 

रास्ता खुद अगर बनाओगे।

 

*खुद को पाने का फायदा ये है ,

 

खुद को खोने का डर नहीं होता।

 

* अधिकार इसका किसी को न देना ,

 

अपना परिचय स्वयं ही देना।

 

* अपने नज़रिये को स्वयं ही देखो,

 

सूरज को उगता या डूबता देखो।

 

* गर सफलता की आस है हमको,

 

हम असफलता से डर नहीं सकते।

 

* ज़रूरी है नींदे , आंखों को ख़वाब दो,

 

जिंदगी के सवाल का ख़ुद ही जवाब दो।

 

* बदल लें खुद को तो,

 

यह दुनिया भी बदल ड़ाले ,

 

इरादो से हथेली पर मुकद्दर

 

अपना लिख ड़ाले।

 

* मुमकिन है यहाँ सब,

 

नामुमकिन नहीं कुछ भी।

 

यकीं करके खुदी पर,क्यूँ न

 

खुदी को आज़मा ड़ाले।।

 

*कोशिशों में कमी नहीं रखना,

 

खुद को पाने में वक्त लगता है।

 

कोशिशे न हो गर हक़ीक़त में,

 

ख्वाब ताबीर पा नहीं सकता।

 

हौंसलों की कमी नहीं लेकिन ,

 

वक्त के हादसों से डरते हैं।

 

तामीर फिर भी करेंगे

 

हम अपनी हस्ती को,

 

अंजाम चाहें मिट्टी का

 

मिट्टी हो।

 

हिम्मत और हौंसलों की

 

ऊंची उड़ान रखना,

 

जज़्बों में अपने शामिल

 

मंजिल की प्यास रखना।

 

अपनी हर श्वास की फिर

 

क़ीमत चुका सकोगे।

 

बस डजंदगी का हर पल

 

ख़ुद पर उधार रखना।

 

किसी से कभी नहीं टूटेगा एतबार,

 

ख़ुद से बस कीजिएगा उम्मीदें बेशुमार।

 

उसको फिर उसका हासिल कहां मिले ,

 

भटके हुए को मंजिल कहां मिले।

 

पढऩे का ख़ुद को आ जाए जो शऊर।

 

उसको फिर उससा क़ाबिल कहां मिले।

 

हौसलों का पता नहीं चलता,

 

मुश्किल राहों में गर नहीं आती।

 

अपने नज़रिये को स्वयं ही देखो।

 

सूरज को उगता या डूबता देखो।।

 

गर सफलता की आस है हमको,

 

हम असफलता से डर नहीं सकते।

 

ज़रूरी है नींदे , आंखों को ख़वाब दो,

 

जिंदगी के सवाल का ख़ुद ही जवाब दो।

 

बदल लें खुद को तो,

 

यह दुनिया भी बदल ड़ाले ,

 

इरादो से हथेली पर मुकद्दर

 

अपना लिख ड़ाले।

 

मुमकिन है यहाँ सब,

 

नामुमकिन नहीं कुछ भी।

 

यकीं करके खुदी पर, क्यूँ न

 

खुदी को आज़मा ड़ाले।।

 

कोशिशों में कमी नहीं रखना,

 

खुद को पाने में वक्त लगता है।

 

कोशिशे न हो गर हक़ीक़त में ,

 

ख्वाब ताबीर पा नहीं सकता।

 

हौंसलों की कमी नहीं लेकिन ,

 

वक़्त के हादसो से डरते हैं।

 

हौसलों का पता नहीं चलता

 

मुश्किल राहों में गर नहीं आती।

 

डॉ. फौजिया नसीम शाद विनायक फीचर्स की नियमित लेखिका भी हैं। (विनायक फीचर्स)

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