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अब दालों ने दिखाया रौद्र रूप, सब्जियां पहले से बिक रही है महंगी 

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अरहर की दाल 160 रूपये किलो पार ,मंत्री जी बोले 100 रूपये किलो बिक रही है अरहर की दाल

 

लखनउ 9 जुलाई :

होना तो यह चाहिए था कि मंत्री जी कुछ ऐसी जुगत लगाते कि महंगाई की मार कम होती और उनकी जुगत मलहम का काम करती। लेकिन कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मलहम लगाने के बजाए जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं। जनता से लेकर थोक मंडी तक में सभी एक स्वर में कह रहे हैं कि अरहर की दाल 150 रूपये किलो से शुरू होकर 180 रूपये किलो के भाव में बिक रही है। लेकिन मंत्री जी एक कार्यक्रम में इस बात को कतई स्वीकर करने के मूड में नहीं है। उनकी नजर में उत्तर प्रदेश में अरहर की दाल का भाव 100 रूपये किलो से ज्यादा नहीं है।

 

कहते हैं मुसीबत कभी अकेले नहीं आती। यह कहावत महंगाई पर भी बिलकुल फिट बैठती है। क्योंकि महंगाई भी कभी अकेले नहीं आती। आलू, मटर, टमाटर के बाद दालों ने भी अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। मंगलवार को लखनउ की यहैयागंज मंडी में पुखराज क्वालिटि की अरहर की दाल का फुटकर भाव 160 रूपये किलो था तो गणेशगंज मंडी में 165 रूपये किलो था। कामोवेश अलग—अलग बाजारों में अरहर की दाल 170 रूपये किलो तक बिकती दिखायी दी। गणेशगंज मंडी के थोक दाल व्यापारी मुकेश कुमार शर्मा कहते हैं कि अरहर की दाल 190 रूपये किलो प्रति किलो के भाव को छूकर वापस लौट रही है। हां कुछ दिन पहले तक जरूर इसका भाव 120 रूपये प्रति किलो तक था।

मंत्री जी का बयान

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही

अरहर की दाल पर चर्चा उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के उस बयान के बाद शुरू हुई जिसमें वह कहते हुए ​सुनाई दे रहे कि यूपी में कहीं भी अरहर की दाल 100 रूपये प्रति किलो के भाव से ज्यादा नहीं बिक रही है। वह एक सरकारी कार्यक्रम में बोल रहे थे तभी पत्रकारों ने दालों की महंगाई की तरफ ध्यान दिलया तो उन्होंने यह बयान दिया था।

 

जनता ने लिया आड़े हाथों

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के इस बयान पर जनता भड़क गयी है और कह रही है कि यदि 100 रूपये किलो दाल बिक रही है तो वह जितनी चाहे उतनी दाल खरीदने के लिए तैयार है।

हमने अलग—अलग बाजारों में अलग—अलग लोगों से बात की तो सभी ने एक स्वर में यही कहा कि कहीं भी 100 रूपये प्रति किलो की दर से दाल नहीं बिक रही।

रूपेश कुमार कहते हैं कि मंत्री जी गलत बयान दे रहे हैं। वह जितनी चाहते उतनी दाल खरीदने के लिए तैयार है।

कमलेश श्रीवास्तवा कहते हैं कि सब्जियां भी रूला रही है और अब दाले भी महंगी हो रही है। ऐसे में गरीब आदमी खाये तो क्या खाये।

ग्रहणी रूपाली कुमारी के मुताबिक रसोई चलाना मुश्किल हो गया है।

शिवम यादव कहते हैं कि सरकार को इस दिशा में उपयुक्त कदम उठाना चाहिए और जगह—जगह दालों के काउंटर खोल कर सस्ती दरों पर दालों के बिकने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

 

ऐसे करे असली अरहर की दाल की पहचान

अब जब दाल महंगी हुई है तो व्यापारी ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में अरहर की दाल में खेसारी की दाल की मिलावट भी कर रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप पूरी जांच पड़ताल के बाद ही दाल खरीदे। अरहर की दला को जांचने के लिए किसी यंत्र या मशीन की जरूरत नहीं बस आप की बारीक नजर ही काफी है।

कृषि वैज्ञानिक डा. सुहेल अहमद कहते हैं कि अरहर की दाल को हथेली पर ले और गौर से देखें अगर दाल का आकार बड़ा और चपटा है तो समझिए यह असली अरहर नहीं है।

कृषि वैज्ञानिक डा. सुहेल अहमद

चने की दाल को पहचानने के लिए उसके रंग को चेक करें। अगर वह अधिक भूरा होगा तो मतलब वह असली है।

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