एसआईटी की रिपोर्ट से गायब है ‘बाबा’ का नाम! चौकी इंचार्ज हुआ सस्पेंड

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दिल्ली/यूटर्न/9 जुलाई: उत्तर प्रदेश के हाथरस में मची भगदड़ को आज एक हफते पूरे हो चुके हैं। पिछले मंगलवार को सत्संग के दौरान ये दर्दनाक हादसा हुआ था। जिसमें 121 लोगों की जान चली गई थी। 35 के लगभग लोग इस हादसे में घायल थे। आठ दिन बाद भी हाथरस हादसा चर्चा में बना हुआ है। बाबा सूरजपाल को लेकर रोज नए खुलासे होते हैं। बाबा का करीबी सेवादार देव प्रकाश मधुकर सलाखों के पीछे पहुंच गया है। इसी बीच स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 300 पेज की इस रिपोर्ट में कई बड़ी चीजें सामने आई हैं।
क्या थी हादसे की मुखय वजह?
खबरों के अनुसार एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में भगदड़ का मुखय कारण भीड़ को ठहराया है। एसआईटी का कहना है कि सत्संग में हद से ज्यादा भीड़ होने के कारण भगदड़ मची और इतने लोगों की जान चली गई। स्थानीय प्रशासन की तरफ से सत्संग में सिर्फ 80 हजार लोगों को शामिल होने की अनुमति मिली थी। मगर इस आयोजन में 2 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। ऐसे में जब भगदड़ मची तो धक्का मुक्की में सभी एक के ऊपर एक गिरने लगे और नीचे दबने के कारण 121 लोगों की मौत हो गई।
119 लोगों ने दिया बयान
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग घटनास्थल पर मौजूद थे और उन्होंने आंखों देखा हाल सुनाया है। इसके अलावा रिपोर्ट में हाथरस के जिलाधिकारी आशीश कुमार, एसपी निपुण अग्रवाल और एसडीएम समेत कई आला अफसरों के बयान लिए गए हैं।
टल सकता था हादसा
2 जुलाई को घटना के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी मौके पर तैनात थे। उन पुलिसकर्मियों ने भी एसआईटी को पूरी कहानी बयां की है। इसके अलाव एसआईटी की रिपोर्ट में पीडि़त परिवारों का बयान भी मौजूद है। परिजनों को खोने वाले कई पीडि़तों ने अपनी आपबीती सुनाई है। सभी के बयान लेने के बाद जांच ऐजंसी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि अगर सत्संग में भीड़ अधिक ना होती तो शायद ये हादसा टल सकता था।
सत्संग में क्यों मची भगदड़?
बता दें कि 2 जुलाई मंगलवार को हाथरस में बाबा सूरजपाल का सत्संग आयोजित किया गया था। इस सत्संग में बाबा के लाखों अनुयायी शामिल थे। सत्संग में मौजूद लोगों की मानें तो बाबा ने परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए चरण रज लेने का ऐलान किया और कार में सवार होकर वहां से निकल पड़े। बाबा के पीछे अनुयायियों की भीड़ भी उनके चरणों की धूल लेने दौड़ी और वहां भगदड़ मच गई।
एसआईटी की रिपोर्ट्स के मुखय बिंदु-
एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में चश्मदीद गवाहों व अन्य साक्ष्यों के आधार पर दुर्घटना के लिए कार्यक्रम आयोजकों को मुखय रूप से जिंमेदार माना है।
जांच समिति ने अब तक हुई जांच व कार्यवाही के आधार पर हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इंकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है।
जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही के जिंमेदार हैं।
उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ द्वारा बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किये आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी गई और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया।
उक्त अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया। एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की है। तदक्रम में, उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इन्चार्ज कचौरा एवं चौकी इन्चार्ज पोरा को शासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है।
आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति ली। अनुमति के लिए लागू शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया। आयोजकों द्वारा अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त एवं सुचारु व्यवस्था नहीं की गई। न ही कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा दी गई अनुमति की शर्तों का पालन किया गया।
आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाए गए हैं। इनके द्वारा जिन लोगों को बिना विधिवत पुलिस वेरिफिकेशन के जोड़ा गया, उनसे अव्यवस्था फैली।
आयोजक मंडल द्वारा पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया गया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया गया।
सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई। भारी भीड़ के दृष्टिगत यहां किसी प्रकार की बैरीकेटिंग अथवा पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी और दुर्घटना घटित होने पर आयोजक मंडल के सदस्य घटना स्थल से भाग गए। एसआईटी की इस रिपोर्ट में नारायण साकार विश्व हरि उर्फ बाबा सूरजपाल का नाम शामिल नहीं है। इस रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। हालांकि बाबा को घटना का मुखय आरोपी नहीं माना गया है। जिस कारण विरोधी पक्ष भी आरोप लगा रहे है कि भाजपा बाबा को बखना चाहती है।
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