watch-tv

मुद्दे की बात : लोकसभा में राहुल बनाम स्पीकर

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

 नेता प्रतिपक्ष के सामने खड़ी होने को मजबूर सरकार !

 

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का भाषण और उनकी स्पीकर ओम बिड़ला से बहस अब चर्चा का विषय हैं। कांग्रेस से जुड़े नेता राहुल गांधी के भाषण की तारीफ़ कर रहे हैं। बीजेपी से जुड़े मंत्री और नेता राहुल गांधी के भाषण की एक छोटी क्लिप शेयर कर उनको घेर रहे हैं।

हालांकि इन सबके बीच अपने भाषण में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से राहुल गांधी की कही एक बात भी चर्चा में बनी हुई है। इस मुद्दे को बीबीसी हिंदी न्यूज ने खासी तवज्जो दी है। ये चर्चा इसलिए भी अहम है, क्योंकि दोबारा स्पीकर बनने के बाद से ओम बिड़ला से इंडिया गठबंधन के नेता विपक्ष को बराबर मौक़ा देने की बात कहते दिखे थे। तब राहुल गांधी ने भी कहा था कि सवाल यह नहीं है कि संसद कितनी शांति से चल रही है, सवाल यह है कि भारत के लोगों की आवाज़ उठाने के लिए कितनी अनुमति मिलती है ओम बिड़ला पर ये आरोप विपक्षी दल लगाते रहे हैं कि वह सत्ता के इशारे पर काम करते हैं, जबकि स्पीकर का पद संवैधानिक पद है।

राहुल गांधी ने भी अपने भाषण में ओम बिड़ला के दोबारा स्पीकर चुने जाने वाले दिन से जुड़े एक वाक़ये का ज़िक्र किया। उस दिन स्पीकर-चुनाव के बाद राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी ओम बिड़ला को स्पीकर की कुर्सी तक बैठाकर आए थे। राहुल गांधी ने कहा कि स्पीकर सर, आपकी कुर्सी में दो व्यक्ति बैठे हैं। एक लोकसभा स्पीकर, जो भारतीय संघ के स्पीकर हैं। दूसरे ओम बिड़ला हैं। जब मोदी जी गए और आपसे हाथ मिलाया और जब मैंने हाथ मिलाया तो मैंने एक चीज़ पर ग़ौर किया।

राहुल बोले कि जब मैंने आपसे हाथ मिलाया तो आप सीधे खड़े रहे। जब मोदी जी ने हाथ मिलाया तो आप झुक गए और उनसे हाथ मिलाया। राहुल गांधी के यह कहते ही गृह मंत्री अमित शाह अपनी सीट से खड़े हुए और बोले कि यह आसन पर आरोप है। एनडीए से जुड़े सांसदों ने भी राहुल के बयान पर विरोध जताया। इसके बाद स्पीकर ओम बिड़ला ने अपने बचाव में तर्क दिया कि माननीय प्रतिपक्ष के नेता, माननीय प्रधानमंत्री सदन के नेता हैं। मुझे मेरी संस्कृति, मेरे संस्कार कहते हैं… निजी जीवन में भी, सार्वजनिक जीवन में भी और इस आसन पर भी। जो हमसे बड़े हैं, उनको झुककर नमस्कार करो. मुझे यही सिखाया है। बराबर वालों से बराबर का व्यवहार करो।

स्पीकर बिड़ला ने कहा कि मैं इस बात को आसन से कह रहा हूं कि मेरी संस्कृति और संस्कार यही हैं कि बड़ों का झुककर और आवश्यक हो तो पैर छूकर सम्मान करो। जो उम्र से छोटे हैं, उनके साथ बराबर का व्यवहार करो। ये हमारी संस्कृति, संस्कार हैं और मैं इसका पालन करता हूं। राहुल गांधी इसके बाद खड़े होकर बोले-स्पीकर सर, आपकी बात को मैं सम्मानपूर्वक स्वीकार करता हूं। मगर आपको कहना चाहता हूं कि इस सदन में स्पीकर से बड़ा कोई नहीं होता है। स्पीकर हम सबसे बड़ा है और हम सबको स्पीकर के सामने झुकना चाहिए।

बिड़ला के सामने हाथ जोड़कर झुककर राहुल गांधी ने कहा कि मैं आपके सामने झुकूंगा और सारा का सारा विपक्ष आपके सामने झुकेगा। यह लोकतंत्र है और आप इस सदन के नेता हैं। आपको किसी के सामने नहीं झुकना चाहिए, आप कस्टोडिएन यानि रखवाले) हैं। एनडीए सांसदों ने इस पर कहा कि प्रधानमंत्री सदन के नेता होते हैं। राहुल बोले कि लोकसभा में स्पीकर का कहा ही मान्य होगा। लोकसभा सांसद होने के नाते हम स्पीकर के अधीन हैं। मैं ऐसा मानता हूं, हो सकता है कि इस सदन में कोई हो जो ऐसा ना मानता हो, लेकिन मैं और विपक्ष यही मानते हैं कि हम आपके अधीन हैं।

राहुल जब सदन में भाषण दे रहे थे, तब पीएम नरेंद्र मोदी दो बार खड़े हुए और अपनी आपत्ति दर्ज कराई। अतीत में ऐसा कम ही देखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी सांसद के बोलने के दौरान बीच में खड़े होकर बोले हों। पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी तब खड़े हुए, जब राहुल गांधी सभी धर्मों पर बोलने के बाद हिंदू धर्म का ज़िक्र करते हुए बीजेपी को निशाने पर ले रहे थे। राहुल गांधी ने कहा था कि हमारे महापुरुषों ने यह संदेश दिया- डरो मत, डराओ मत। शिवजी कहते हैं-डरो मत, डराओ मत और त्रिशूल को ज़मीन में गाड़ देते हैं।

इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी समेत सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि दूसरी तरफ़ जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा, नफरत-नफ़रत-नफ़रत बोलते हैं, आप हिंदू हो ही नहीं. हिंदू धर्म में साफ़ लिखा है सच का साथ देना चाहिए। राहुल गांधी के यह कहते ही पीएम मोदी उठकर बोले कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना, ये गंभीर विषय है। इस पर राहुल ने जवाब दिया कि मोदी जी आप और बीजेपी और आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं हैं। इसके बाद एक बार फिर ऐसा मौक़ा आया, जब राहुल के बोलते हुए पीएम मोदी अपनी सीट से खड़े हुए। राहुल कह रहे थे कि आज राजनाथ सिंह जी ने मुझे मुस्कुराकर नमस्ते किया, मोदी जी बैठे हैं, नमस्ते भी नहीं करते हैं। कहीं मोदी जी ना देख लें, दिक़्क़त हो जाएगी। वही कहानी गडकरी जी की भी है, सच्चाई है। अयोध्या की जनता को छोड़ो, ये तो बीजेपी वालों को डराते हैं।

इसके बाद स्पीकर ओम बिड़ला कहते हैं कि माननीय विपक्ष नेता, ये राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस हो रही है, इसकी गरिमा रखें। तभी पीएम मोदी फिर खड़े होते हैं और कहते हैं, कि लोकतंत्र और संविधान ने मुझे सिखाया है कि विपक्ष के नेता को गंभीरता से लेना चाहिए। राहुल गांधी के भाषण के दौरान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी खड़े होकर आपत्ति दर्ज कराने लगे थे। गृह मंत्री अमित शाह ने स्पीकर से कहा कि ये सदन में कैसे चल सकता है कि आप एकतरफ़ा नियमों के ऊपर जाकर उनको रियायत दे रहे हैं, हमें संरक्षित करिए, ऐसे नहीं चलता है। कुल मिलाकर एक दशक बाद मजबूत लोकतंत्र के लक्षण संसद में देखने को मिले, नेता प्रतिपक्ष के सामने सरकार खड़ी नजर आई।

———-

Leave a Comment