सिटीजन काउंसिल मार्केट खिलाफ सीएम व डीसी को देगी शिकायत, आरोप- ट्रस्ट मुखी लाइब्रेरी का भी खा गए पैसा

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लुधियाना की बहुचर्चित इललीगल अकालगढ़ मार्केट का मामला

(राजदीप सिंह सैनी)
लुधियाना 24 जून। लुधियाना की बहुचर्चित मार्केट इललीगल अकालगढ़ मार्केट पर 30 साल बीतने के बावजूद पंजाब में समय समय पर रही सरकार व प्रशासन द्वारा एक्शन नहीं लिया गया। सुस्त पड़ी पंजाब सरकार व जिला प्रशासन को जगाने के लिए लुधियाना सिटीजन काउंसिल द्वारा पहल कर दी गई है। सिटीजन काउंसिल की और से मार्केट के खिलाफ अभियान शुरु करने का ऐलान कर दिया गया है। जिसके चलते उनकी और से सीएम भगवंत मान को शिकायत दी जाएगी, वहीं साथ में जिला डीसी साक्षी साहनी को भी शिकायत दी जाएगी। ताकि इस बारुद के ढ़ेर पर बनी अकालगढ़ मार्केट पर नकेल डाली जा सके। वहीं आप सरकार के राजनेता भी इस मामले में शांत हुए बैठे हैं। लुधियाना सिटीजन काउंसिल के चेयरमैन दर्शन अरोड़ा ने कहा कि वह शहर में अनियमित तरीके से इमारतें नहीं बनने देंगे। कारोबारी सिर्फ पैसा कमाने के चक्कर में अकालगढ़ मार्केट में बैठे हैं। लेकिन उन्हें अपनी कमाई के लालच में लोगों की जान को खतरे में डालने नहीं दिया जाएगा। दर्शन अरोड़ा ने कहा कि वह मार्केट के खिलाफ अभियान शुरु कर इस पर एक्शन करवाएंगे।

 

10 दुकानों से बना डाली 800 अवैध दुकानें
दर्शन अरोड़ा ने बताया कि शुरुआत में उक्त जमीन गुरुद्वारा साहिब की थी। जिस पर दूसरे राज्यों से उजड़कर आए परिवारों को रहने के लिए जगह पर छोटा-मोटा काम करने के लिए 10 दुकानें बनाकर दी गई थी। लेकिन उस समय राजनीतिक पार्टियों के पूर्व मंत्रियों, गुरुद्वारा अकालगढ़ साहिब चैरीटेबल ट्रस्ट के नए बने प्रधानों द्वारा इसे अपना धंधा ही बना लिया और लाखों रुपए प्रति दुकान के हिसाब से जमीनें बेच दी। जिसके चलते आज वहां करीब 800 दुकानें हैं। जबकि फिर कई पूर्व मंत्रियों ने मिलीभगत कर और दुकानें बनाकर बेच दी। जबकि गुरुद्वारा साहिब के लिए छोड़ी जमीन भी बेचकर पैसा खा गए।

शायद प्रशासनिक अधिकारी आंखें बंद करके गुजरते हैं
लुधियाना सिटीजन काउंसिल के प्रधान आईएस खन्ना ने बताया कि अगर शहर के हर व्यक्ति को वहां अवैध दुकानें बनी दिख रही हैं, तो प्रशासनिक अधिकारियों को क्यों नहीं दिख रहा। शायद अधिकारी आंखें बंद करके मार्केट के आगे से गुजरते हैं। जबकि चंद कदमों पर नगर निगम ऑफिस है। लेकिन निगम कमिश्नर को आज तक उक्त अवैध अकालगढ़ मार्केट पर एक्शन लेते नहीं देखा गया। चर्चा है कि आपसी मिलीभगत के चलते ही अधिकारी कोई कार्रवाई करने से गुरेज कर रहे हैं। जबकि समय समय पर आए प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ अपनी जेब गर्म करने तक मतलब रखते हैं।

दुकानदारों ने अपने साथ जनता भी बारुद के ढ़ेर पर बैठाई
वहीं दर्शन अरोड़ा ने कहा कि दुकानदार खुद बारुद के ढ़ेर पर बैठे हैं। जहां कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है। क्योंकि फायर सेफ्टी के लिए बिल्डिंग में कोई इंतजाम नहीं है। दुकानदार खुद तो पैसे कमा रहे हैं, लेकिन अपने साथ साथ जनता को भी बारुद पर बैठा रखा है। क्योंकि अगर अचानक वहां कोई हादसा हो जाए तो सैकड़ों जाने दांव पर लग जाएगी।

आलीशान एसी अकालगढ़ मार्केट हो रही तैयार
इस बिल्डिंग में दुकानें बंद करना तो दूर उल्ट ट्रस्ट द्वारा वहां आलीशान एसी अकालगढ़ मार्केट बना दी गई है। जिसमें एक-एक दुकान की कीमत एक से दो करोड़ रुपए तक है। प्रशासनिक अधिकारी व राजनेता भी सिर्फ अपनी रोटियां सेकने में लगे हैं। हालात यह है कि मार्केट में पैदल निकलना भी मुश्किल है। ऐसे में कोई हादसा हुआ तो भयानक रूप ले सकता है।

लाइब्रेरी के लिए आई बुक्स व सामान भी खा गए नेता
वहीं आज्ञापाल सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा अकालगढ़ मार्केट ट्रस्ट में पहले उनके पिता अजीत पाल सिंह मुखी थे। 1984 में दंगे होने के बाद ट्रस्ट मेंबरों ने कई बेघरों को गुरुद्वारा साहिब होने के चलते सहारा दिया। बाद में उनके पिता अजीत पाल सिंह की मौत हो गई। उनके भोग पर मार्केट में लाइब्रेरी बनाने का ऐलान हुआ। जिसके लिए आज्ञापाल सिंह के परिवार ने बुक्स, सामान व अन्य चीजें भेजी। लेकिन वहां आज तक लाइब्रेरी नहीं बनी, बल्कि भेजा गया सामान भी ट्रस्ट के मुखी खुद रख गए।

हर तरफ से अवैध है मार्केट
बता दें कि अकालगढ़ मार्केट का नगर निगम में नक्शा पास नहीं है। न ही वहां फायर सेफ्टी यंत्र है। जिसके चलते फायर विभाग ने भी उसे एनओसी नहीं दी। जबकि मार्केट के नीचे से दो सुए निकलते हैं। एनजीटी के नियम मुताबिक सुए पर बिल्डिंग नहीं बन सकती। जबकि प्रशासनिक अधिकारी इसे सील करने के लिए भी कह चुके हैं। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि आज तक मार्केट न लीगल हुई और न ही इसे किसी नेता ने गिराया है। लोगों में चर्चा है कि मौजूदा सरकार के कई वर्कर मार्केट में ही काम करते हैं।

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