watch-tv

मुद्दे की बात : जहरीली शराब का कहर बरपने पर ही क्यों जागती हैं राज्य सरकारें

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

इस बार तमिलनाडु में जहरीली शराब का कहर, 34 मरे, 100 बीमार

इसे विडंबना ही कहेंगे कि भारत में जहरीली शराब का कहर जब-तब देखने मिलता रहता है। सुशासन के दावे करने वाले तमाम राजनीतिक-दल इस मामले में ‘हमाम में सभी नंगे’ वाली कहावत को चरितार्थ करते रहे हैं। इस बार जहरीली शराब का कहर तमिलनाडु के कल्लाकुरिची इलाके में बरपा है। जहां शराब पीकर मरने वालों की तादाद 34 हो चुकी है। जबकि 100 से ज्यादा लोग अस्पतालों में दाखिल है। गौरतलब है कि हर बार की तरह इस बार भी सिर्फ राज्य बदला है, लेकिन सारे हालात पहले की तमाम त्रासदियों की तरह ही हैं।

कल्लाकुरिची इलाके की पुलिस ने त्रासदी के बाद जांच की रस्म पूरी करते यह बता दिया कि मरने वालों और बीमारों ने पैकेट वाली शराब पी थी। चिंताजनक पहलू यह है कि कल्लाकुरिची जिले के करुणापुरम में 18 जून को इस त्रासदी के शिकार ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर हुए। शराब पीने के बाद रात में सबको दस्त, उल्टी, पेट दर्द और आंखों में जलन होने लगी। जो मर गए, उनके ही नहीं, बल्कि जो बचकर भी अपाहिज हो जाएंगे, उनके घरों में चूल्हे बुझने की नौबत आनी है। खैर, जैसा हमेशा से होता आया है, हालात बेकाबू होने पर सब जाग उठे। सरकार ने प्रशासन को जगाया तो पुलिस ने इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिए। करीब 200 लीटर जहरीली शराब बरामद की, जिसमें मेथनॉल मिला था।

अब कल्लाकुरिची में दर्जनभर एंबुलेंस तैनात हैं। मरने वालों का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहे हैं। प्रशासन का रटा-रटाया जवाब भी मिल गया कि पोस्टमार्ट रिपोर्ट आने पर मौतों की असली वजह पता चलेगी।

सूबे की सरकार ने भी अपना फर्ज पूरा किया। घटना के बाद कलैक्टर-एसपी हटा नए लगा दिए। मुख्यमंत्री स्टालिन ने केस की जांच के लिए मद्रास हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बी गोकुलदास की अध्यक्षता में आयोग बनाने का निर्देश दिया। मरने वालों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए की मदद देने का ऐलान भी कर दिया। इसके अलावा कई पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किया। सीएम ने दो मंत्रियों को प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए भी भेजा। मिलावटी शराब पीने से लोगों की मौत मामले पर एआईएडीएमके ने राज्य सरकार पर हमला बोला। विपक्ष ने भी अपना फर्ज निभाते गंभीर आरोप लगा दिए कि डीएमके के मंत्री जहरीली शराब बेचने वालों के साथ फोटो खिंचवाते हैं।

तमिलनाडु में इस त्रासदी के बाद शासन-प्रशासन की कड़ी कार्रवाई देखकर तो सरसरी तौर पर यही लगेगा कि सरकार ने वहां सराहनीय काम किया। सबसे बुनियादी सवाल यह है कि चाहे तमिलनाडु हो या दूसरे सूबे, जहरीले शराब बनाने वाले तस्कर कैसे अपना इतना बड़ा नेटवर्क खामोशी से खड़ा कर लेते हैं। शासन-प्रशासन और खुफिया एजेंसियों को भनक क्यों नहीं लगती। त्रासदी होने के बाद सरकारी मशीनरी फिर तो मौत के इन सौदागरों की जड़ें तक खोद डालती है। काश, सभी सूबों की सरकारें इस मामले में ईमानदारी से चौकसी बरतें तो सैकड़ों बेकसूर लोग मौत के मुंह में जाने और अपाहिज होने से बच सकते हैं।

————

 

Leave a Comment