नरेश कुमार
संगरूर, 14 जून : हाल के दिनों में कलौदी गांव के पास कुछ किसान संगठनों के नेताओं द्वारा दो दलित युवकों की पिटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आज बड़ी संख्या में दलित संगठनों ने संगरूर रेस्ट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पुलिस पर आरोप लगाया कि इस मामले में पुलिस आरोपियों का पक्ष ले रही है, उल्टा आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उनके खिलाफ ही पर्चा दर्ज कर रही है. पीड़ित युवा.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए भारतीय अंबेडकर मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष दर्शन सिंह और क्रांतिकारी लोक चेतना मंच के अध्यक्ष विक्की परोचा धुरी ने एकजुट होकर कहा कि किसान नेता यूनियन की आड़ में सरासर गुंडागर्दी कर रहे हैं. अगर युवकों ने कोई मारपीट की थी तो कानून के मुताबिक उन्हें पकड़कर पुलिस के हवाले कर देना चाहिए था, न कि जानवरों की तरह बेरहमी से पीट-पीटकर उन्हें मौत के घाट उतार देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि किसान नेता मंजीत सिंह घराचों और जगजीत सिंह लाडी युवक को बेरहमी से पीट रहे हैं, लेकिन जातिसूचक शब्द भी बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक तरफ किसान नेता मजदूरों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और उनके दर्द में खड़े होने की बात करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ जातिगत भेदभाव के कारण उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इस घटना पर दलित संगठनों के कड़े विरोध के कारण पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ एससी, एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन किसान संगठनों के दबाव के कारण धारा 307 का मामला दर्ज नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि किसान संगठन जहां पहले अपने हक और मजदूरों के हक के लिए लड़ते नजर आते थे वे अब मजदूरों के खिलाफ गुंडागर्दी का रूप ले रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप गांवों में मजदूरों और किसानों के बीच दूरियां बढ़ने की आशंका है।
उन्होंने पुलिस प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पिटाई करने वाले किसान नेताओं के खिलाफ धारा 307 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार नहीं किया गया तो दलित संगठन पूरे पंजाब में संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेंगे. इस मौके पर पिटाई के शिकार युवकों के माता-पिता, युवा नेता शक्तिजीत सिंह के अलावा बड़ी संख्या में दलित संगठनों के नेता मौजूद थे.
डिब्बा
पिटाई के शिकार युवकों के पक्ष में बसपा ने भी हस्तक्षेप किया
बहुजन समाज पार्टी संगरूर के नेता भी मारपीट का शिकार हुए दलित युवकों के पक्ष में खड़े हो गए और स्थानीय डिप्टी कमिश्नर जितिंदर जोरवाल को एक मांग पत्र दिया और मांग की कि उक्त मामले में आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। पंजाब सरकार की ओर से मुफ्त इलाज के लिए मुआवजा दिया जाए