झारखंड में होने हैं विस चुनाव, आजसू किंग-मेकर वाली भूमिका में, बीजेपी को महंगी पड़ेगी उसकी यह नाराजगी
नदीम अंसारी
लुधियाना 11 जून। जैसा कि जानकार आशंका जता रहे थे, केंद्र में तीसरी बार सरकार बनाकर पीएम नरेंद्र मोदी ने बड़ी चुनौती भी ली है। भाजपा को अपने सभी सहयोगियों को संतुष्ट करना टेढ़ी खीर साबित होने की आशंका सरकार का गठन होते ही सच साबित हो गई।
झारखंड से इस बाबत अहम खबर सामने आई है। वहां गिरिडीह लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन यानि आजसू कामयाब रही थी। इस सीट से सांसद बने चंद्रप्रकाश चौधरी को पूरी आस थी कि वह मंत्री बनेंगे। बाकायदा ऐसा वादा भाजपा की तरफ से किए जाने के उनके दावे के चलते चौधरी को लगातार बधाईयां भी मिल रही थीं।
बकौल चौधरी, एनडीए के घटक दलों की मीटिंग में सबको उचित प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई थी। इसके बावजूद मंत्रिमंडल में आजसू पार्टी को दरकिनार कर दिया गया। गठबंधन धर्म के तहत सभी दल को सम्मान मिलना चाहिए था। पार्टी स्तर पर इस मामले पर विचार कर आगे की रणनीति तय करेंगे। चौधरी ने यह भी कहा कि क्षेत्र के कार्यकर्ता और शुभचिंतक फोन कर यही पूछ रहे थे कि मीडिया में अंत तक आपका नाम चलता रहा। फिर आपका मंत्रियों की लिस्ट से कैसे काट दिया गया।
बीजेपी से पुराना नाता है आजसू का : गौरतलब है कि आजसू और भाजपा का गठबंधन काफी पुराना है। आजसू झारखंड में कई महत्वपूर्ण सीटों पर हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाती रही है। झारखंड में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में आजसू के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की नाराजगी और पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो की चुप्पी कोई नया गुल खिला सकती है। दिल्ली में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के आवास के बगल में ही चंद्रप्रकाश चौधरी का आवास है। चिराग की पार्टी को बिहार में पांच सीटें मिलीं। एवज में उनको मोदी-कैबिनेट में एंट्री मिल गई। सियासी-जानकारों की मानें तो भले ही आजसू ने एक सीट हासिल की, लेकिन बाकी 8 सीटों पर बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई।
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