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गुस्ताख़ी माफ़ 8.6.2024
हलवा फीका रह गया, भैया अब की बार।
फिर भी मोदी जी रहे, ताल ठोंक ललकार।
ताल ठोंक ललकार, किये दस मैंबर क़ाबू।
इधर साथ नीतीश, उधर हैं चंदर बाबू।
कह साहिल कविराय, यही है इनका जलवा।
चीनी ऊपर छिड़क, कर रहे मीठा हलवा।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल