सरदार मनजीत सिंह
हम रोजाना पूजा स्थल पर जाकर परमात्मा से मांगते हैं, क्या कभी हमने परमात्मा से परमात्मा को मांगा? शायद नहीं मगर जिस दिन हम परमात्मा से परमात्मा को मांग लेंगे उस दिन के बाद कभी परमात्मा से कुछ मांगने की जरूरत नहीं रह जाएगी
परमात्मा हमारी हर तकलीफ के बारे में जानता है इसलिए हमें अपने लिए खुद ही परमात्मा से अरदास करनी चाहिए क्योंकि जो दर्द हमें है उस दर्द को हम ही जानते हैं इसलिए खुद ही अपनी बात परमात्मा के आगे रखनी चाहिए। परमात्मा हमारे दर्द की हर भाषा भी समझता है
परमात्मा से हम एक रुपया मांगे या एक लाख मांगे क्या कभी किसी ने हमें मांगने से रोका जब हमें मांगने से कोई दुत्कारता नहीं है तो हमें यह अधिकार किसने दे दिया कि हम पूजा स्थल के बाहर बैठे उन लोगों को जिन्हें कभी अंदर जाकर परमात्मा से मांगते हुए नहीं देखा होगा उन्हें दुत्कार दें?
गरीब की मदद करना परमात्मा की इबादत है। इस दुनिया की रचना करने वाले की क्या कोई तस्वीर आपने कभी देखी उनकी कोई तस्वीर है ही नहीं क्योंकि उनकी कोई सूरत ही नहीं आकार ही नहीं वह जन्म मरण से रहित है
सभी देवी देवताओं ने अपनी तपस्या के माध्यम से इस संसार का भला किया बुराई का अंत किया।
जब हम पूजा स्थल जाते हैं तो हमारे मन को शांति मिलती है। सभी धर्म हमें पवित्र राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं सभी धर्मो का सार एक ही है सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।
गुरुद्वारा साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश होता है गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरु का दर्जा श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने दिया। उनका कहना था कि परमात्मा हर जगह मौजूद है हमें संगत के बीच में बैठकर संगत के लोगों की तकलीफों के बारे में जानकारी मिलती है और हम उनके मददगार बनते हैं इसलिए हमें पूजा स्थलों पर अवश्य जाना चाहिए। मन की शांति के लिए भी। पूजा स्थल पवित्र जगह होती है दिन-रात भजन कीर्तन चलता है इसलिए मन को सुकून मिलता है। पवित्र जगह पर जाकर हमारा मन बहुत कोमल हो जाता है और हम अच्छे मन से दूसरों की मदद करने का प्रयास करते हैं।
धरती पर भले ही बहुत से धर्म है मगर सभी धर्म का सार एक ही है कि दूसरों की मदद करें। परमात्मा जो हमें देता है उस पर हमारा पूरा हक नहीं होता कुछ हक गरीबों का भी होता है। हमें ईमानदारी से गरीबों के हक को बांट देना चाहिए,तभी हम अपनी जिंदगी के साथ ईमानदारी रख पाएंगे। (विनायक फीचर्स)