युवाओं ने चेताया कि अगर जीते उम्मीदवार सांसद बन उम्मीदें पूरी नहीं करेंगे तो खमियाजा भी भुगतेंगे
आश्ना अग्रवाल
लुधियाना 4 जून। लोकसभा चुनाव के नतीजों के रुझान सामने आने से लेकर फाइनल रिजल्ट के दौरान युवाओं ने भी इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया सामने रखी। कुल मिलाकर युवाओं का मानना यही है कि लोकतंत्र की जीत के साथ जो सांसद चुने गए हैं, उनसे खासकर युवा वर्ग को बहुत बड़ी उम्मीदें हैं। साथ ही युवाओं ने चेताया कि अगर ये जनप्रतिनिधि उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरेंगे तो इसका खमियाजा उनको अगले आम चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
–चुनाव नतीजे घोषित हो चुके हैं, इसलिए पूरे देश की निगाहें खबरों पर टिकी हुई हैं। देश का भविष्य नतीजों पर निर्भर है। हम युवाओं की एक राय है कि वे हमारे देश के भावी नेता से क्या चाहते हैं। ये सभी अपेक्षाएं अत्यंत स्पष्ट और बिल्कुल सटीक हैं। मुझे उम्मीद है कि वे अल्पसंख्यकों, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को जीवित रहने देंगे, न कि केवल अपने एजेंडे और विचारधाराओं को आगे बढ़ाने देंगे।–कबीर गिल, पटियाला
–सत्तारूढ़ दल को वास्तविक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और धार्मिक-राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। देश की जनता और युवाओं को यही चाहिए। मैं चाहता हूं कि सत्तारूढ़ दल किसी भी चीज़ से अधिक विकास और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करें।–शियारा गुप्ता, बेंगलुरु
–विशेष रूप से प्रमुख अरबपतियों और करोड़पतियों से धन का उचित पुनर्वितरण होना चाहिए, जो असंभव लगता है। सरकार ऐसा करने का प्रयास कर सकती है। एक पत्रकार- छात्र होने के नाते स्वतंत्र प्रेस एक ऐसी चीज़ है, जो मेरे साथ-साथ लोकतंत्र के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। जनप्रतिनिधि इस दिशा में जरुर प्रयास करें।—आलिया शर्मा, जालंधर
—सरकार को समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उत्थान पर ध्यान देना चाहिए। सरकार “अनियंत्रित” श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन मानदंड देकर शुरुआत कर सकती है। चुने गए जनप्रतिनिधि इसी दिशा में काम करें।—शुभम बंसल, मुंबई
–एनईपी ने भारत की संपूर्ण शैक्षिक प्रणाली की दिशा बदल दी है। यही कारण है कि युवाओं और आने वाली पीढ़ियों की बेहतरी के लिए अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ भविष्य के लिए शैक्षिक नीतियों को बेहतर बनाने पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।—नमन चौधरी, देहरादून
–भारतीय राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता यह है कि भविष्य के नेता अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहें और दिन के अंत में बेहतरी के लिए जो आवश्यक हो, वह करें।—सिया धवन, दिल्ली
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