पं.विशाल दयानंद शास्त्री
हर व्यक्ति में अलग-अलग क्षमता होती है, लेकिन स्वयं यह तय करना कठिन होता है कि हममें क्या क्षमता है, इसलिये कभी-कभी गलत निर्णय लेने से असफलता हाथ लगती है परन्तु ज्योतिष एक ऐसा विषय हैं जिसके द्वारा उचित व्यवसाय क्षेत्र चुनने में मार्गदर्शन लिया जा सकता है। आजकल हाईस्कूल करने के बाद एक दुविधा यह रहती है कि कौन से विषय चुने जाएं। इसके लिये कुंडली के ज्योतिषीय योग हमारी सहायता कर सकते हैं।
पत्रकारिता के लिए कुंडली में बुध का शुभ व बलिष्ठ होना बहुत जरूरी है, क्योकि बुध वाणी, बुद्धि वाक्पटुता एवं व्यावहारिक विश्लेण का कारक है । यदि हम देखें तो कुंडली में बुध, शुक्र, चंद्र, गुरु तथा दूसरा भाव वाणी का, चौथा भाव जनता से सम्बन्ध का, तथा दशम भाव जो व्यवसाय भाव में होता है, उनका आपस में सम्बन्ध होना चाहिए। इसी प्रकार कुंडली में सरस्वती योग, शारदा योग तथा कलानिधि योग में से कोई योग होना भी आवश्यक है।
एक लेखक बनने के लिए व्यक्ति में सामाजिक संवेदना अवश्य होनी चाहिए जब व्यक्ति में अंतरनिहित संवेदना तथा सामाजिक संवेदनाएं एक साथ दिल को छूती हैं तब लेखक पन्नों पर जो कलमबद्ध करता है, वह समाज के लिए स्वच्छ आईना होता है। लेखक का लेखन इसी के सहारे आगे बढ़ता है जो समाज के लिए मील का पत्थर साबित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमेश अगर नवम भाव में हो तो एक सफल लेखक बनने के लिए यह एक उत्तम ग्रहयोग है। जन्मकुंडली में यदि सरस्वती योग योग बन जाए तो आप उच्चकोटि के लेखक हो सकते हैं। सरस्वती, शारदा योग, कलानिधि योग एक ही होते हैं। इनके नाम अलग-अलग हैं, जब कुंडली में केन्द्र, त्रिकोण और द्वितीय भाव में एक साथ या अलग-अलग बुध, शुक्र और गुरु ग्रह बैठते हैं तो यह महान योग होता है। इस प्रकार के व्यवसायों में वांछित योग्यता के लिए तृतीय भाव, बुध तथा लेखन के देवता गुरु की युति श्रेष्ठ परिणाम देती है।
इसी प्रकार यदि किसी की कुंडली में तीसरे भाव में गुरु और शुक्र की युति हो तथा बारहवें भाव में केतु स्थित हो तो यह पत्रकारिता के लिए अच्छा योग है, क्योकि ऐसे व्यक्तियों का व्यवक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली होता है। वह अपनी अलग ही पहचान बनाता है।
यदि किसी कुंडली में दशम भाव में नीच का बुध हो तथा शनि बारहवें भाव में तथा केतु तीसरे भाव में गुरु के साथ युति करे तो ऐसे व्यक्तियों की सोच-समझ कमाल की होती है। वे अच्छे सोर्स वाले होते है तथा उनकी प्रतिभा उन्हें बहुत उच्च मुकाम देती है। कुछ लोग लेखन व पत्रकारिता में प्रसिद्धि की पराकाष्ठा पर होते हैं तो कुछ लोग अच्छे लेखन के बावजूद इससे कोसों दूर होते हैं। यदि आप की जन्मकुंडली में सरस्वती योग, गजकेसरी योग, राजयोग, महालक्ष्मी योग, चन्द्र मंगल योग इत्यादि हों तो अवश्य ही आपका लेखन अविस्मरणीय बन सकता है।
लेखन कार्य में कल्पनाशक्ति की जरूरत रहती है, इसलिए कल्पनाकारक चंद्रमा की शुभ स्थिति भी वांछित है। जुझारू पत्रकारिता के युग में मंगल, बुध, गुरु के बल व किसी शुभ भाव में युति के फलस्वरूप पत्रकारिता व संपादन काम में सफलता मिलती है।
लेखन कार्य के तृतीय भाव के बल की भी जांच करनी होगी। बुध दशम भाव में गुरु के साथ हो, द्वितीय भाव में चन्द्र हो, पंचम में उच्च शनि से राहू दृष्ट हो ऐसे में जातक समाचार पत्रों का संपादन या प्रकाशन का काम करता है। तृतीय भाव में केतु, बुध हो, द्वितीय भाव में सूर्य हो दशम में उच्च का शनि हो, ऐसे में जातक समाचार चैनलों व पत्रकारिता में अच्छा कैरियर प्राप्त करता है।
जब शुक्र, बुध चतुर्थ भाव में हों दशम मे मंगल के साथ राहू हो द्वितीय भाव में सूर्य की दृष्टि हो ऐसे में जातक प्रसिद्ध समाचार पत्र का प्रकाशन करता है। बुध दशम भाव में नीच राशि में हो, शनि द्वादश भाव में हो, तृतीय भाव में केतु के साथ गुरु हो ऐसे में जातक खोदकर खबर प्रकाशित करने वाला पत्रकार होता हैं।
गुरु केतु का संबंध जातक ऊँचाइयों पर ले जाने वाला होता हैं। राहू अष्टम भाव में हो गुरु केतु बुध की राशि में द्वितीय भाव में हो, बुध दशम भाव में चन्द्र के साथ हो, ऐसे जातक प्रसिद्ध परिवार सहित पत्रकारिता के क्षेत्र में अग्रणीय पत्रकार होता हैं गुरु बुध केतु तृतीय भाव में हों दशम में उच्च का शुक्र हो लन में सूर्य हो तो ऐसे में प्रसिद्ध पत्रकार होता हैं। (विभूति फीचर्स)