आप छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे शीतल अंगुराल, अब ‘मोदी का परिवार’ नारा हटाया सोशल अकाउंट से
जालंधर 2 जून। वाकई सियासी-ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, दावा नहीं किया जा सकता। ऐसा ही कुछ दिलचस्प मामला जालंधर वेस्ट से विधायक शीतल अंगुराल से जुड़ गया है। उन्होंने रविवार को विधायक पद से दिया अपना इस्तीफा वापस ले लिया। इस दिलचस्प घटनाक्रम का सियासी-मतलब यही निकलता है कि अंगुराल ने सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे वाली कहावत पर अमल किया।
गौरतलब है कि शीतल अंगुराल साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ जीतकर विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव से पहले 27 मार्च को वह भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा अध्यक्ष ने वेरिफिकेशन के लिए 3 जून को शीतल अंगुराल को बुलाया था। हालांकि लोस चुनाव में उनके बीजेपी में चले जाने से तब तक बड़ा ‘खेला’ हो चुका था।
अंगुराल को साथ लेकर बीजेपी में गए आप सांसद सुशील कुमार रिंकू ने उनका बखूबी सियासी-इस्तेमाल कर अपनी प्रचार मुहिम मजबूत कर ली थी। अब वोटिंग के अगले दिन ही शीतल ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा कि अगर अब तक उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो पश्चिम हल्के में दोबारा चुनाव कराने पड़ेंगे। जिससे सरकार का चुनाव खर्च भी बढ़ जाएगा। यही वजह से वह अपना इस्तीफा वापस ले रहे हैं।
वैसे तो इस पर अंगुराल की खुलेतौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। हालांकि उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से मोदी का परिवार नारा हटा दिया है। उनके भाई राजन अंगुराल ने एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने तो जय भाजपा और तय भाजपा लिखा है।
अंगुराल के भाजपा में शामिल होने के बाद जालंधर में आप वर्करों ने उनके घर के बाहर जमकर नारेबाजी की थी। उन्हें पार्टी का गद्दार तक कह दिया था। इसके बाद जिला पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ धरना देने और सरकार संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर मामला दर्ज भी किया था। बता दें कि ऑपरेशन लोटस के मुख्य शिकायतकर्ता शीतल अगुंराल ही हैं। करीब डेढ़ साल पहले ऑपरेशन लोटस में दो विधायक शीतल अंगुराल व रमन अरोड़ा ने बयान दर्ज कराए थे।
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