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गुस्ताख़ी माफ़ 29.5.2024
झंडे-बैनर-पोस्टर, हुई पड़ी भरमार।
पटी हुई है शहर की, हर छत हर दीवार।
हर छत हर दीवार, चौखटे सबके छाये।
सुंदरता नित नई, शहर की बढ़ती जाये।
कह साहिल कविराय, आ रहा है अब संडे।
तब तक देखें आप , पोस्टर-बैनर-झंडे।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल