एप्पल ने सोमवार को अपनी सेल्स टीम में छंटनी करने का बड़ा फैसला लिया है। कंपनी का कहना है कि यह कदम कस्टमर एंगेजमेंट को और बेहतर बनाने और टीम स्ट्रक्चर को सिंपल करने के लिए लिया गया है। इस लेऑफ का असर ज़्यादातर उन अकाउंट मैनेजर्स पर पड़ा है जो बड़े बिजनेस, स्कूलों और सरकारी एजेंसियों के साथ काम कर रहे थे।
कंपनी ने प्रभावित कर्मचारियों को 20 जनवरी तक दूसरी भूमिका खोजने का समय दिया है, नहीं तो उन्हें सेवरेंस पैकेज दिया जाएगा। यह फैसला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि एप्पल अब तक छंटनी से बचता आया है। जब 2022 से 2024 के बीच मेटा , गूगल , अमेज़न और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियों ने हजारों कर्मचारियों को निकाला, तब एप्पल ने ऐसे कदमों से दूरी बनाई थी। एप्पल की हायरिंग स्ट्रैटेजी हमेशा से काफी सोच-समझकर रही है, यही वजह है कि इसे पहले बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को हटाने की ज़रूरत नहीं पड़ी।
रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि एप्पल अब सीधे सेल्स की बजाय ज़्यादा बिजनेस रिसेलर्स के जरिए करना चाहता है ताकि ऑपरेशनल खर्च और सैलरी पर लागत कम की जा सके। कंपनी में कई लोग मानते हैं कि यही इस लेऑफ की असली वजह है।
कई कर्मचारियों के लिए यह फैसला अचानक आया है क्योंकि एप्पल की सेल्स और रेवेन्यू अभी भी काफी मजबूत चल रहे हैं।
कंपनी आने वाले महीनों में नया लो-एंड लैपटॉप भी लॉन्च करने की तैयारी में है, जिसका टारगेट स्कूल और बिजनेस मार्केट होगा। हालांकि एप्पल अब भी मानता है कि छंटनी उसका आखिरी विकल्प होता है, लेकिन यह कदम बताता है कि कंपनी अपनी सेल्स स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव ला रही है।
