जनता के मुद्दों से भटके पीएम मानें तो बड़ी सीख
इस लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण जारी है, नतीजे तो चार जून को ही पता चलेंगे। फिलहाल इतना तो लगभग तय हो गया कि लोकतंत्र के इस महापर्व में जनता हाशिए पर रही, नेता अपनी ‘राजनीतिक-समस्याओं’ को लेकर ही आपस में भिड़े रहे। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में चुनावी सभाएं करके आए। वहां उन्होंने बाकी राज्यों की तरह ही जनहित के मुद्दों पर कोई गंभीर भाषण देने का प्रयास नहीं किया। इसके उलट वह विपक्ष को ‘धमका’ आए। जिस पर भड़के बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने रविवार को पीएम पर तीखा पलटवार कर उनको चुनौती दे डाली।
पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के बेटे व राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता तेजस्वी का बयान गौर करने लायक है। उन्होंने पीएम को ललकारा कि वह उनसे डरने वाले नहीं है। लगे हाथों करारा तंज कसा कि 75 साल के गुजराती से यह 34 साल का बिहारी डरने वाला नहीं है। जिसका डर था, वही यूपी जैसे बड़े राज्य बिहार में ‘खेला’ शुरु हो गया। विपक्ष को केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना कर जनहित में अपने एजेंडे को सामने रखना था, लेकिन खुद भाजपा के वन-मैन शो बने प्रधानमंत्री ने उसको मौका दे दिया। बिना देरी किए तेजस्वी ने भी मुद्दा लपका और क्षेत्रवादी-भावनात्मक लहजे में पलटवार कर दिया। उन्होंने गुजराती बनाम बिहारी का पासा फेंक दिया। यहां याद दिला दें कि बिहार के सीएम नितीश कुमार एक दौर में बाकायदा कसम खाकर बीजेपी के धुर विरोधी बने थे तो उन्होंने ‘डीएनए’ वाले डायलॉग को तेजस्वी वाले अंदाज में ही कैश कर मोदी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी।
अब जरा गौर करें, प्रधानमंत्री के सर्वोच्च पद पर विराजमान होने के बावजूद बीजेपी के सुपर स्टार-कंपेनर के तौर नरेंद्र मोदी पिछली चुनावी सभा में आखिर क्या बोल आए। उन्होंने फर्माया कि राजद सुप्रीमो लालू के रेलमंत्री रहते नौकरी के बदले भूखंड घोटाला हुआ था। बिहार के गरीबों को लूटकर नौकरी के बदले जमीनें लिखावाई गई थीं। अब उनके भी जेल जाने की उल्टी गिनती चालू है। फिर पीएम ने बॉलीवुड-फिल्म जैसा चलतऊ-डायलॉग मारा कि जैसे ही हैलीकॉपेटर को चक्कर मारने का उनका टाइम पूरा होगा, जेल जाने का समय चालू हो जाएगा।
अब जरा इधर भी गौर कर लें कि सियासी-जानकार इस पर क्या नजरिया पेश कर रहे हैं। उनके मुताबिक इस चुनाव में वाकई मोदी तो इंदिरा गांधी वाले स्टाइल में बोलते नजर आ रहे हैं। इंदिरा को तब समाजवादियों ने करारा जवाब दिया था, अब आखिर मोदी क्या चाहते हैं ? क्या उनको नौजवान-उभरते राजनेता तेजस्वी का यह पलटवार पसंद आया होगा कि 75 साल का शख्स 34 साल के जवान से घबरा गया। सियासी जानकारों की नजर में सबसे अहम सवाल, इस सबकी शुरुआत आखिर किसने की ? पप्पू से लेकर शहजादा तक, हिंदू-मुस्लमान से लेकर मंगलसूत्र तक, चुनाव में ही मां गंगा से लेकर हर राज्य के बेटे बनने, रोने जैसे स्टंट आखिर किसने शुरु किए। हर गलती नेहरु की, देशद्रोही, आंदोलनजीवी, वगैराह-वगैराह, आखिर ये सब किसने शुरु किया।
सोचना पड़ेगा कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के बेटे व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने अबकी बार 400 पार वाले नारे के जवाब में बीजेपी 400 सीट हार रही है, आखिर क्यों बोला। जबकि वह अपने पिता के साथ पीएम से बेहद करीबी मुलाकात कर चुके थे। रही बात बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की तो वह भी अपने पिता लालू प्रसाद यादव की विपक्षियों से बेहतर ट्यूनिंग के बारे में बखूबी वाकिफ थे। फिर भी उनका सीधे पीएम मोदी पर सियासी-हमला बोलना एक चौंकाने वाला पहलू है। अगर चुनावी नतीजे भाजपा के दावों के विपरित आए तो एकबार सत्ता-पक्ष को यह तो सोचना ही पड़ेगा कि जनता के मुद्दों को दरकिनार कर विपक्ष के उभरते नेताओं से भिड़ने का नतीजा यही होता है।
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