इंडस्ट्री की प्रमुख समस्याओं पर गंभीर चर्चा कर वडिंग बोले, उद्यमी गाइड करेंगे, मैं मंत्रियों से मिलाउंगा
लुधियाना 23 मई। इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रमुख उम्मीदवारों को एपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने अपना मंच उपलब्ध कराया। जिसमें उनसे सांसद बनने पर लुधियाना के लोगों और खासकर इंडस्ट्री के लिए विजन पेश करने को कहा। इसी क्रम में कांग्रेसी उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग भी इस मंच पर उद्यमियों से रु-ब-रु हुए तो अलग अंदाज में अपने विचार रखे।
उन्होंने राजनेता होने के बावजूद पंजाब के हालातों के मद्देनजर बेबाकी से कई मौकों पर आत्म-आलोचना भी की। राजा वड़िंग ने साफगोई से कहा कि इंडस्ट्री की कई समस्याएं वह तकनीकी तौर पर पूरी तरह नहीं जान-समझ सके। इसके लिए बाकायदा वह उद्यमियों के साथ एक अलग सेशन में विस्तार से चर्चा करेंगे। फिर एक लिखित योजना बना उद्यमियों के डेलीगेशन को सिलसिलेवार हर संबंधित मंत्री से मिलवाएंगे। वह बोले कि सब कुछ उद्यमी ही करेंगे, मेरा काम सिर्फ बतौर मध्यस्थ उनको संबंधित मंत्रियों से मिलाना भर होगा।
किसी जनप्रतिनिधि का नाम लिए बिना कांग्रेसी उम्मीदवार ने कहा कि ईमानदारी, इच्छा-शक्ति और हौंसला है तो हर समस्या हल कराई जा सकती है। फिर भाजपा प्रत्याशी रवनीत सिंह बिट्टू की ओर इशारा करते बोले कि दो बार विपक्षी सांसद रहने के बावजूद भी इंडस्ट्री की जायज समस्याएं सही तरीके से रखी जातीं तो काफी हद तक समाधान हो सकता था।
वह बोले कि हिंदुस्तान, खासकर पंजाब में जनप्रतिनिधियों की नाकामी की वजह से कई बड़े काम नहीं हो सके। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही हावी हुए माइनिंग माफिया पर चर्चा करते राजा वड़िंग ने कहा कि जेसीबी, पोकलेन बंद कर देनी चाहिए। बतौर विधायक-मंत्री मैंने ऐसा कराना चाहा, लेकिन सरकारों की कुछ मजबूरी भी होती है। मत्तेवाड़ा जंगल में प्रदूषण को लेकर मचे हंगामे पर वह बोले कि पर्यावरण को बचाना जितना जरुरी है, इंडस्ट्री का वजूद बचाना और रेवेन्यू पैदा करना भी उतना ही जरुरी है।
राजा वड़िंग ने कहा कि प्रदूषण के नाम पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड बेशक अपना फर्ज निभाएं, लेकिन कानून का खौफ दिखा इंडस्ट्रियलिस्ट्स का शोषण नहीं होना चाहिए। फिर कहा कि मनरेगा गलत योजना नहीं है, अगर यह लागू नहीं होती तो आज भूखे गरीब ही अमीरों के घर में घुस जाते। फिर इंडस्ट्री की प्रमुख समस्याओं जीएसटी को लेकर कहा कि इस जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। इसी तरह फ्रेट कॉरिडोर को लेकर कोई ठोस योजना बने। किसानों की गलतफहमी दूर करने के लिए सरकारें मीडिएटर-ब्रिज का काम करें।
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