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विजिलेंस ने वरिष्ठ पत्रकार हमदर्द, दीपक बिल्डिर्स के मालिक समेत 26 लोगों पर की FIR, 15 आरोपी गिरफ्तार

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जंग-ए-आजादी स्मारक के निर्माण में धोखाधड़ी का मामला

लुधियाना 22 मई। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की और से बुधवार को जालंधर के करतारपुर साहिब में जंग-ए-आज़ादी स्मारक के निर्माण से संबंधित सरकारी धन में धोखाधड़ी करने के आरोप में वरिष्ठ पत्रकार बरजिंदर सिंह हमदर्द, दीपक बिल्डिर्स के मालिक दीपक कुमार सिंघल सहित 26 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। यह एफआईआर जालंधर की विजिलेंस रेंज द्वारा की गई है। इस केस में देर शाम तक विजिलेंस जालंधर द्वारा 15 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका था। जिसमें कई अधिकारी भी शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में दीपक बिल्डिर्स के मालिक दीपक कुमार सिंघल निवासी राज गुरु नगर, लुधियाना, चंडीगढ़ के रहने वाले अरविंदर सिंह रिटायर्ड चीफ इंजीनियर, तेज राम रिटायर्ड एक्ससीएन निवासी जालंधर, राजीव कुमार अरोड़ा एसडीओ रिटायर्ड निवासी पंचकूला, रोहित कुमार बीडब्ल्यूडी जेई, जालंधर के रहने वाले राघविंदर सिंह एक्ससीएन, संतोश राज एक्ससीएन निवासी अमृतसर, हरपाल सिंह एसडीओ निवासी प्रीत नगर, एसडीओ जतिंदर अर्जुन निवासी जालंधर कैंट, जेई हरप्रीत सिंह निवासी कपूरथला, मनदीप सिंह, निवासी अर्बन एस्टेट फेस-2, एनपी सिंह एक्ससीएन निवासी कपूरथला, जेई गौरवदीप निवासी मास्टर तारा सिंह नगर, जेई रोहित कंदोला निवासी कपूरथला को अरेस्ट किया गया है। वहीं, केस में आईएएस अधिकारी और पूर्व चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर विनय बुबलानी को भी नामजद किया गया है। जिनकी गिरफ्तारी फिलहाल बाकी है।

हमदर्द और बुबलानी ने मिलकर किया फ्रॉड

विजिलेंस जालंधर ने कहा- बरजिंदर सिंह हमदर्द और विनय बुबलानी ने पंजाब फ्रीडम मूवमेंट मेमोरियल फाउंडेशन के डीड ऑफ डिक्लेरेशन (2012) के क्लॉज नंबर 9 और 10 में दी गई शक्तियों का अपने निजी फायदे के लिए दुरुपयोग किया और ठेकेदारों (दीपक बिल्डर्स/गोदरेज एंड बॉयस कंपनी) और सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ मिलीभगत से उक्त फ्रॉड किया।

पिछले साल मार्च महीने में हुई थी जांच शुरू

विजिलेंस ब्यूरो जालंधर रेंज ने पिछले साल मार्च महीने में इस प्रोजेक्ट को लेकर जांच शुरू की थी। शिकायत है कि इस प्रोजेक्ट को बनाते समय फंड का मिस-यूज हुआ। जिसके लिए कुछ समय पहले प्रबंध समिति के सचिव लखविंदर सिंह जौहल को भी तलब किया गया था। इस प्रोजेक्ट का बजट 315 करोड़ रुपए था। जांच में विजिलेंस ब्यूरो ने 2014-2016 में इसके निर्माण के दौरान कितने पैसे पास किए गए थे, पैसे का इस्तेमाल कैसे और कहां किया गया, इससे संबंधित तथ्यों की जांच विजिलेंस ब्यूरो कर रही है। इसके अलावा, जिन अधिकारियों की देखरेख में पैसे आवंटित और इस्तेमाल किया गया, उनसे भी विस्तार से पूछताछ की गई थी। मगर अब विजिलेंस ने केस दर्ज कर पहली गिरफ्तारी कर ली है।

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