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पातर थे पंजाबी मां बोली का दरिया, नई पीढ़ी उसी दरिया से निकले झरने बनेगी, बोले सीएम

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पदमश्री कवि स्व.सुरजीत पातर की अंतिम अरदास में जुटीं तमाम शख्सियतें, गमजदा तमाम प्रशंसक

लुधियाना 20 मई। मां बोली पंजाबी का नाम देश-दुनिया में रोशन करने वाले पदमश्री कवि डॉ.सुरजीत पातर की भोग व अंतिम अरदास की रस्म सोमवार को हुई। इस दौरान महानगर में पातर निवास के पास ही आशा पुरी स्थित गुरुद्वारा माई बिशन कौर में पाठ के भोग डाले गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री भगवंत मान के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, नामवर साहित्यकार, कलाकार और बड़ी तादाद में उनके प्रशंसक श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे।
अपने संबोधन में सीएम मान ने जज्बाती होकर कहा कि डॉ.पातर मां बोली पंजाबी के दरिया की तरह थे। उनकी बेशकीमती विरासत को जिंदा रखने के लिए नई पीढ़ी को ताजा पानी के झरने की तरह उसी दरिया की शाखाएं बनने की जरुरत हैं। उनके साथ अपनी यादें ताजा करते सीएम भावुक होकर बोले कि मैं उनका प्रशंसक था, शागिर्द भी कह सकते हैं। हर कदम, हर मौके पर उनसे मां बोली को लेकर चर्चा होती थी। विधानसभा से लेकर संसद तक अपने संबोधन में कई बार डॉ.पातर की फिलासफी (अर्थपूर्ण कविताएं-गजलें) कोट्स के तौर पर इस्तेमाल करता रहा हूं।
मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव की लागू आचार संहिता का हवाला देते मजबूरी जताई कि वह पातर अवॉर्ड लागू करने का तो ऐलान कर चुके हैं। भविष्य में उनके नाम पर बहुत कुछ राज्य सरकार की तरफ से होगा। चुनाव निपटते ही उनका ऐलान किया जाएगा।
सीएम के अलावा विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा,
पूर्व केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया, मशहूर गायक सतिंदर सरताज, सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल, मशहूर गायिका अमर नूरी, सूबे की मंत्री अनमोल गगन मान, नामवर एक्टर गुरप्रीत घुग्गी, एक्टर मलकीत रौणी, गीतकार-गायक देबी मखसूसपुरी, मशहूर गायक अशोक मस्ती, सतविंदर बिट्टी समेत तमाम कलाकारों ने डॉ.पातर को श्रद्धांजलि दी।
इनके साथ ही कई नामवर साहित्यकारों के अलावा कांग्रेसी उम्मीदवार राजा वडिंग, विधायक गुरप्रीत गोगी, शिअद नेता महेश इंदर गरेवाल, अमरजीत टिक्का, सुखमिंदर पाल गरेवाल सहित अन्य राजनेता व धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे।
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