सियासी मजबूरी में सरकारें खामोश, पीसीबी के साथ ही एनजीटी भी हैं ‘साइलेंट-मोड’ पर
लुधियाना/यूटर्न/18 मई। देश के कई हिस्सों में चुनावी शोर में एक अहम समस्या भी दब कर रह गई। इन दिनों कई राज्यों में धड़ल्ले से खेतों में पराली जलाई जा रही है। जिसे लेकर संबंधित राज्यों के साथ केंद्र की सरकारें खामोश हैं। जबकि इस मामले में सैटेलाइट के जरिए निगरानी करने वाले पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि एनजीटी भी ‘साइलेंट-मोड’ पर हैं।
गौरतलब है कि देश की राजधानी दिल्ली से लगाते हुए राज्य में पराली जलाए जाने से कई बार विकट स्थिति बन चुकी है। परली के धुएं की वजह से आसमान में स्मॉग के चलते विजिबिलिटी बेहद कम हो जाती है। साथ ही प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। जिसे लेकर एनजीटी के निर्देश पर कई मर्तबा राज्य सरकारों ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की।
हालांकि इस बार संयोग से लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और ऐसे में सरकारें भी परली जलाने की गंभीर समस्या की तरफ से आंखें मूंदे हुए हैं। हालांकि आम लोगों में इस बात को लेकर रोष है कि अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगी सरकारें इस जानलेवा समस्या को नजरअंदाज कर रही हैं।
यहां काबिलेजिक्र है कि पिछली बार राजधानी दिल्ली में पराली से बने स्मॉग से जनजीवन ठप हो गया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने इस ज्वलंत समस्या पर संज्ञान लेते हुए पंजाब सरकार को भी सलाह दी थी कि पराली जलाने वाले किसानों को एमएसपी भी नहीं दी जानी चाहिए।
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