कांग्रेसी उम्मीदवार वड़िंग ने बिट्टू के साथ नंबर-टू सियासी-दुश्मन आप के पप्पी भी लिया है ‘लपेटे’ में
नदीम अंसारी
लुधियाना 12 मई। पंजाब की लुधियाना लोकसभा सीट वैसे भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, इस बार यह एकाएक ‘हॉट’ बन चुकी है। तेजी से घूमे राजनीतिक-चक्र के बाद अब यहां कांग्रेस, बीजेपी, आप और शिअद के उम्मीदवारों के बीच चौकोना मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि ताजा हालात में कांग्रेस अकेले बीजेपी को निशाने पर लेकर सियासी-माहौल बदलने की कोशिश में है। लगे हाथों, कांग्रेस ने नया दांव चल बीजेपी के साथ आप को भी लपेटे में ले लिया। ताकि इन दोनों के बीच ‘अंदरखाते-दोस्ती’ के दावे को हवा देकर वोटरों को अपनी तरफ घुमा सके।
जानकारों की मानें तो कांग्रेस सब-कुछ तयशुदा स्क्रिप्ट के तहत कर रही है। दरअसल चुनावों की तारीख का ऐलान होने के बाद सबसे पहले इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने बड़ा सियासी-दांव चला। पहली बार लुधियाना सेंट्रल विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर जीते विधायक अशोक पराशर पप्पी को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद बीजेपी ने दो बार लगातार लुधियाना से कांग्रेसी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू की पार्टी में एंट्री करा उनको टिकट थमा दिया। इसी बीच शिरोमणि अकाली दल-बादल ने आप की तर्ज पर नए चेहरे यानि पूर्व विधायक रणजीत सिंह ढिल्लों को उम्मीदवार बनाया।
विरोधियों के दांव-पेंच देख कांग्रेस ने इस सीट पर अपने प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को ही उम्मीदवार बना विरोधियों के लिए नई चुनौती पैदा की। यहां बताते चलें कि जैसे ही वड़िंग मैदान में आए तो सबसे पहले बिट्टू ने उन पर हमला बोला। शायद कांग्रेस यही चाहती थी, लिहाजा वड़िंग ने बाकी को छोड़ बिट्टू पर धावा बोल दिया। नतीजतन, रस्म-अदायगी को कांग्रेस पर हमलावर होने लगे पप्पी और ढिल्लों इस ‘वाक-युद्ध’ में पिछड़े दिखे। मौजूदा वक्त वड़िंग बनाम बिट्टू की सियासी-जंग इस सीट पर लगातार तेज हो रही है।
क्यों कर रही कांग्रेस ऐसा ? जानकार मानते हैं कि कांग्रेस ने इस सीट की सियासी-स्क्रिप्ट बड़े मनोवैज्ञानिक तरीके से लिखी है। गौर करें तो पप्पी महज दो साल पहले आप के हुए थे। जबकि इस लोस चुनाव में बिट्टू बीजेपी कैंप में गए। ऐसे में कांग्रेस ने बिट्टू को दुश्मन नंबर वन तो पप्पी को दुश्मन नंबर दो मान एक साथ दो सियासी-शिकार करने की योजना बनाई। साथ ही उसने शिअद पर सियासी-हमले न करके यह मैसेज भी देना चाहा कि कांग्रेस, अकाली उम्मीदवार को मुकाबले में नहीं मान रही। जबकि कांग्रेस वोटरों का यही माइंड-सैट करना चाहती है कि पप्पी-बिट्टू कांग्रेसी रहे हैं, लिहाजा एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर न बोलते हुए अंदरखाते दोस्ती निभा रहे हैं। जबकि कांग्रेस के बिना उधार वाले उम्मीदवार वड़िंग दल-बदलुओं से निपट रहे हैं।
सियासी-जंग में बिट्टू-वड़िंग संवाद : अब जरा टाइम लाइन देखें, बीजेपी और कांग्रेसी उम्मीदवारों ने सिलसिलेवार एक-दूसरे के खिलाफ क्या बोला—-
पहले बिट्टू बोले : कांग्रेस को लोकल नेताओं पर भरोसा नहीं था, बाहर से वड़िंग को लाए, वो टूरिस्ट हैं, यहां घर भी नहीं है, समर-टूरिस्ट है, सैर-सपाटा कर लौट जाएंगे।
वड़िंग का पलटवार : असली टूरिस्ट तो बिट्टू हैं, दो बार लगातार एमपी रहकर लुधियाना में घर तक नहीं बनाया, मैंने तो बना भी लिया, बीजेपी उम्मीदवार के उधारी-उम्मीदवार ही असली टूरिस्ट हैं।
बिट्टू फिर बोले : नॉमिनेशन से पहले उनको सरकारी कोठी के करीब दो करोड़ बकाए का नोटिस भेजा, जेवरात-जमीन गिरवी रख, उधारी लेकर बकाया चुकाया, गहरी साजिश है (उन निशाने पर आप सरकार थी)
वड़िंग ने फिर खोला मोर्चा : बिट्टू बिना किराया चुकाए दस साल कैसे सरकारी कोठी में रहे, आप सरकार-उसके नेता क्यों चुप रहे, बिट्टू को दोस्त की पप्पी…(बीजेपी के साथ आप को भी लपेट लिया)
आप की चुप्पी, अकाली तमाशबीन : बिट्टू बनाम वड़िंग वाले इस वाक-युद्ध में आप व उसके उम्मीदवार की चुप्पी पर लोग चर्चा करने लगे। जबकि चुनाव मैदान में होने के बावजूद शिअद उम्मीदवार-उनकी पार्टी मूकदर्शक बनी है। ऐसे में लोग इस पर भी चर्चाएं कर रहे हैं।
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