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आपसी सहयोग में ही वास्तविक बल — प्रेरक कथा

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एक छोटा लड़का और उसके पिता जंगल के रास्ते जा रहे थे। उसी समय उनके सामने जमीन पर एक बड़े पेड़ की शाखा आ गई। लड़के ने अपने पिता से पूछा, “अगर मैं कोशिश करूँ तो क्या आपको लगता है कि मैं उस शाखा को हटा सकता हूँ?”

उसके पिता ने उत्तर दिया, “मुझे यकीन है कि यदि तुम अपनी पूरी ताकत लगाते हो तो तुम यह कर सकते हो।”लड़के ने शाखा को उठाने या हिलाने की पूरी कोशिश करी, लेकिन उसमें इतनी ताकत नहीं थी इसलिए वह उसे हिला नहीं सका। उसने निराशा के साथ कहा- “आप गलत थे, पिताजी। मैं इसे हिला नहीं सकता।” ” तुम फिर से कोशिश करो।” उसके पिता ने कहा।

लड़के ने फिर से उस शाखा को हिलाने की बहुत कोशिश करी। उसने काफी संघर्ष किया लेकिन वह शाखा उससे नहीं हिली। “पिताजी, मैं यह नहीं कर सकता।” लड़के ने कहा। अंत में उसके पिता ने कहा,“बेटा, मैंने तुम्हें अपनी पूरी ताकत लगाने की सलाह दी थी। तुमने अभी तक वह नहीं किया। तुमने अभी तक मेरी मदद नहीं माँगी।”

आइये इस कहानी पर कुछ विचार करें… हमने अपनी सारी ताकत का उपयोग तब तक नहीं किया है जब तक कि हम उन लोगों की ताकत और सहयोग को नहीं पहचानते, सराहते और उत्साह देते हैं, जो हमें प्यार करते हैं और हमेशा हमारे साथ रहते हैं, और जो हमारी परवाह करते हैं।

हमारी असली ताकत स्वतंत्रता में नहीं, बल्कि  ‘आपसी सहयोग’ में है। किसी भी व्यक्ति के पास अपने सर्वांगीण (all round) विकास के लिए आवश्यक सभी शक्तियाँ, संसाधन और सामर्थ्य नहीं होती।इसके लिए कई ‘समान हृदय’ वाले प्रेरित सहयोगियों की आवश्यकता होती है। जरूरत पड़ने पर मदद और समर्थन माँगना कमजोरी का संकेत नहीं है, यह बुद्धिमानी की निशानी है, यह उस बड़ी ताकत का आह्वान है जो हमारी एकजुटता में निहित है।

जब हम मदद माँगते हैं और हमें मदद नहीं मिलती है, तो इसका मतलब है कि हमें किसी और समय, या किसी अन्य तरीके, या किसी और व्यक्ति से पूछना है। यह हमें ‘SWSWSWSW’ को याद रखने में मदद करता है। कुछ मदद करेंगे (some will), कुछ मदद नहीं करेंगे (some won’t), तो क्या(so what), कोई इंतज़ार कर रहा है मदद करने के लिए (someone’s waiting)।

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