माँ, जिसे भगवान का दूसरा रूप भी कहा जाता है। हमने भगवान को तो नहीं देखा, लेकिन माँ जन्म से हमारे साथ है, वह हमे जन्म देने वाली माँ है। इसीलिए माँ भगवान से भी ऊँची और बड़ी हुई। प्रत्येक प्राणी की एक ही जन्मदात्री होती है और वह है केवल माँ। जहां माँ है, वहां करुणा है, दया है। माँ की ममता दुनिया में शहद से भी ज्यादा मीठी है और इसकी कद्र करना हर इंसान का कर्तव्य है।
माँ ना केवल माँ होती है बल्कि बच्चे की पहली शिक्षिक भी होती है, जिससे प्राप्त बुनियादी शिक्षा जीवन के विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए बच्चों का मार्गदर्शन करती रहती है। माँ द्वारा दी गई उचित शिक्षा भी बच्चों को अच्छा नागरिक बनने में मदद करती है। एक माँ अपने निजी सुखों को त्यागकर अपना पूरा जीवन अपने बच्चों के बचपन और भविष्य के लिए समर्पित कर देती है और उसके अपने सपने अपने बच्चों के साथ जुड़े रहते हैं। एक बच्चा अपनी माँ से बहुत कुछ सीखता है।
बच्चे हमेशा पहला शब्द माँ ही बोलते है। बच्चे का व्यक्तित्व उसकी माँ से बहुत प्रभावित होता है और उसका विकास भी उसकी माँ के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। आमतौर पर कुछ लोग कहते हैं कि चोर को मत मारो, चोर की माँ को मारो, लेकिन कोई भी माँ नहीं चाहती कि उसका बेटा चोर बने और कोई भी माँ अपने चोर बेटे को कभी भी चोर के रूप में स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि वहाँ उसकी दया भारी हो जाती है। मां का सीधा संबंध ममता से है। किसी ने सच ही कहा है कि माँ का रिश्ता सभी रिश्तों में सर्वश्रेष्ठ, पवित्र और ईश्वर की निकटता का प्रमाण है। दूसरे शब्दों में कहें तो ईश्वर का दूसरा नाम ही माँ है। अपने बच्चों को दुनिया दिखाने वाली माँ की दुनिया में शायद ही कोई दूसरी मिसाल हो। सभी रिश्तों में सबसे अनोखा और अनूठा रिश्ता एक माँ का ही होता है, जो तमाम कष्ट सहकर भी अपनी संतान के लिए खुशियां पैदा करता रहता है।
माँ अपनी संतान के हर गुण को पहचानती है। तभी तो कहते हैं गूंगे की माँ ही गूंगे की रमज जानती है। एक माँ की पूरी दुनिया उसकी संतान होती है। माँ का हृदय सदैव अपने बच्चों को आशीर्वाद देता है। माँ का प्यार उस पेड़ की तरह है जो छाया तो सबको देता है लेकिन खुद धूप सहता है। एक माँ का प्यार उसके बच्चों को जीवन की धूप और तूफानों से बचाता है। यह सच है कि माँ की गोद के बिना बच्चे एक दिन तो क्या एक साँस भी पूरी नहीं कर सकते। माँ ईश्वर का वह अनमोल उपहार है जिसकी तुलना हमेशा प्रकृति से की जाती है। दरअसल, दोनों का स्वभाव एक ही है, दोनों देना जानते हैं पर लेना नहीं। दोनों के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है। वैसे तो आज प्यार करने के लिए सारा जमाना है, लेकिन प्यार शब्द की असली शुरुआत माँ से ही होती है। हर दिन हमारे लिए माँ का ही उपहार है, लेकिन फिर भी माँ को एक विशेष तरीके से याद करने के लिए, माँ द्वारा हमें दिए गए अनमोल जीवन में से वर्ष के एक दिन को पूरी तरह से समर्पित करने के लिए ‘मदर्स डे’ बनाया गया, जो कि मई महीने के दूसरे रविवार को दुनिया भर में मनाया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि बच्चों का पूरा जीवन भी माँ को समर्पित हो जाए तो भी वह माँ ऋण नहीं उतार सकते।
✍️ बलदेव सिंह बेदी ,जालंधर ( पंजाब )