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गायों के गर्भ में नई तकनीक से केवल बछिया ही पैदा करने की तकनीक गहरी साजिश मानते हैं डॉ.औलख

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किया डॉ.वीएस औलख का दावा, दवा-कंपनियों ने पीएम को भी गुमराह कराया, नई तकनीक गोमाता पर तो कहर

लुधियाना/यूटर्न/11 मई। देशभर में चुनावी-शोर के बीच मेडिकल फील्ड में एक बार फिर गायों के गर्भ से केवल बछिया पैदा करने वाली तकनीक पर बहस शुरु हुई है। महानगर से ताल्लुक रखने वाले डॉ.वीएस औलख का दावा है कि यह तकनीक दवा-कंपनियों के विश्व-स्तरीय रैकेट की गहरी साजिश है। जिससे गोवंश पर बर्बरता के साथ तकनीकी प्रयोग कर मानव-समाज को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

उन्होंने दोटूक कहा कि गोमाता पर कहर ढहाने वाली ऐसी तकनीकी-साइंस को नैतिक तौर पर विज्ञान भी नहीं कह सकते हैं। उनका आरोप है कि कार्पोरेट घरानों का लालच बेलगाम हो गया है। अमेरिका की तीन कंपनियां ऐसी तकनीक लेकर आई थी। दुनिया में किसी ने इन कंपनियों को मुंह नहीं लगाया तो ये हमारे देश में यही तकनीक लेकर आ गए। इतनी गहरी साजिश अगर है तो सरकार बेखबर क्यों है, इस सवाल पर डॉ.औलख एक तरह से सीधे पीएम नरेंद्र मोदी का बचाव करते बोले कि वह तो बहुत धार्मिक व्यक्ति हैं। जबकि साइंस का दुरुपयोग करने वालों की गहरी साजिश को वह बतौर राजनेता नहीं भांप सके। उनको इस मामले में टैक्नोक्रेट्स-ब्यूरोक्रेट्स गुमराह कर गए। यह तो जाहिर है कि इनके सुझावों पर ही राजनेताओं-जनप्रतिनिधियों को अमल करना होता है। इन साजिशकर्ताओं का दावा है कि इस तकनीक से गायों के केवल बछिया ही पैदा होंगी। हालांकि इस तकनीक के क्या साइड-इफैक्ट गोमाता के साथ उसके दूध का उपयोग करने वालों पर होंगे, यह तथ्य छिपा लिए गए।

डॉ.औलख ने अपना दावा दोहराते कहा कि इस तकनीक से गायों के शरीर में तब्दीलियां करने के लिए उन पर बर्बरता के साथ प्रयोग किए जाते हैं। इस तब्दीली के बाद बछिया से बनी गाय का दूध पीने से मानव-शरीर को हजार गुना नुकसान भी होंगे। इस गंभीर समस्या का हल सुझाते उन्होंने कहा कि ऐसे साजिशकर्ताओं पर लगाम कसने के लिए मेडिकल साइंस की निगरानी को बने कानूनों-एक्ट में संशोधन की जरुरत है। कथित मेडिकल कौंसिल भी भंग कर दी जाएं।

नई तकनीक को लेकर दावे : जानकारी के मुताबिक गायों के केवल बछिया पैदा करने वालीअमेरिकी तकनीक से विकसित किए सीमन से ऐसा संभव हो सका। कंपनी का दावा था कि इस सीमन से 98 फीसदी बछिया होने की संभावना है। इससे पैदा हुई बछिया देशी नस्ल की होगी। साथ ही वे 15 से 20 लीटर दूध देगी। बछिया पैदा होने वाले सीमन को पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह योजना देश में पांच जिलों में लागू किया गया था।

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