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दुनिया से रुखसत हुए पंजाबी कविता के युग पुरुष पद्द्मश्री सुरजीत पातर

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लुधियाना 11 मई :   पंजाबी कविता के युग पुरुष, प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार सुरजीत पातर का निधन हो गया है। उन्होंने लुधियाना स्थित घर में अंतिम सांस ली। जानकारी अनुसार रात को आराम से सोए थे, लेकिन सुबह उठे नहीं । समस्त जीवन साहित्य को समर्पित सुरजीत पातर का जन्म 14 जनवरी 1941 को जालंधर जिले के गांव पत्तड़ कलां में हुआ। पदमश्री साहित्यकार सुरजीत पातर ने गांव के स्कूल में चौथी कक्षा तक की पढ़ाई की। इसके बाद दूसरे गांव खैरा माझा से हाईस्कूल तक की पढ़ाई की। जीएंडी से स्नातक के बाद पंजाब के नामवर कवि व साहित्यकार बने।

डा. सुरजीत पातर ने युवा पीढ़ी को लफ्जों की महत्ता भी समझाई। उनका मानना था की कविता में लफ्जों का इस्तेमाल बड़ी संजीदगी से किया जाना चाहिए क्योंकि यह कई राज खोलते और छिपाते भी हैं।

अपनी कविताओ में एक खास एहसास का आकर्षण के लिए वे अक्सर कहते थे कि बचपन में ही घर की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पिता को विदेश जाना पड़ा। मां की चेहरे की उदासी मुझे अंदर तक विचलित कर देती थी। तभी से मैंने थोड़ी बहुत कविता करना शुरू कर दिया था। उसके साथ ही साथ कहावतें और लोक कथाएं मेरी कविता के लिए प्रेरणा बनी। वे बताया करते थे कि उनकी हर कविता के पीछे कोई न कोई गहरा अनुभव जुड़ा हुआ है।

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