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गुस्ताख़ी माफ़ 10.5.2024
पक कर वोटों की फ़सल, खेतों में तैयार।
लिये दरांती हाथ में, आ पहुंचा परिवार।
आ पहुंचा परिवार, मायका या ससुराली।
सारा टब्बर डटा, एक ना बैठा खाली।
कह साहिल कविराय, काट कर भर लो दाने।
अगले पांचों साल, यही हम सब ने खाने।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल