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सियासी-यूटर्न : चंडीगढ़ में शिअद उम्मीदवार हरदीप सिंह बुटरेला ने टिकट ही लौटा दिया

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लोस चुनाव मैदान के साथ पार्टी भी छोड़ा

बोले, मेरे पास फंड नहीं खर्च करने के लिए

चंडीगढ़/यूटर्न/6 मई। राजनीति में वाकई कुछ भी मुमकिन है। यहां लोकसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल-बादल ने  (SAD) के अपने इकलौते कौंसलर हरदीप सिंह बुटरेला को बड़े भरोसे के साथ पार्टी बनाया था। अब अचानक हरदीप ने सियासी-धमाका करते हुए शिअद छोड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल को अपना टिकट लौटाने के साथ चौंकाने वाला तर्क दिया कि उनके पास चुनाव में खर्च करने को फंड ही नहीं है।

साथ ही हरदीप ने आरोप लगाया कि चुनाव लड़ने से पहले पार्टी के सामने मांग रखी थी कि चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल पहली बार चुनाव लड़ रहा है। इसलिए चंडीगढ़ में चुनाव लड़ने के लिए सीनियर नेताओं की जरूरत पड़ेगी, लेकिन पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल आज भी 13 सीटों पर प्रचार कर रहे हैं। वह मेरी यानि 14वीं सीट को तो जैसे भूल गए। सीधे छोटे-बादल पर तंज कसते हुए शिअद उम्मीदवार यही नहीं रुके।

यहां गौरतलब है कि हरदीप सिंह चंडीगढ़ में शिअद के प्रधान होने के साथ ही नगर निगम में पार्टी के इकलौते कौंसलर भी हैं। ​​​​​उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उनके साथ ही चंडीगढ़ शिअद की सभी इकाइयों के प्रधानों ने भी इस्तीफा दे दिया है। हालांकि दावा किया कि वह किसी दूसरी पार्टी में नहीं जाएंगे। वह सिर्फ पार्टी की नीतियों से परेशान होकर पार्टी छोड़ रहे हैं।

लगे हाथों हरदीप ने इमोश्नल-कार्ड भी खेलते कहा कि वह साधारण किसान के बेटे है। लिहाजा वह सिर्फ अपने बलबूते चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। उनका दावा है कि चुनाव में पार्टी फंड की जरूरत थी, लेकिन पार्टी की तरफ से मदद नहीं मिली। जबकि तीन बार अपने ही बलबूते निगम चुनाव लड़कर जीते थे। शिअद मुखिया सुखबीर बादल मेरे पिता समान ही थे, क्योंकि मेरे पिता नहीं है। इसके बावजूद पिता समान छोटे-बादल ने मेरे हालात को नहीं समझा।

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