कांग्रेस के तिवारी और बीजेपी के टंडन, दोनों ही रोजाना लगा रहे हैं जनता की अदालत में हाजिरी
राहुल मेहता
चंडीगढ़/यूटर्न/5 मई। लोकसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच चंडीगढ़ में भी राजनीतिक-माहौल चरम पर पहुंच रहा है। यहां मुख्य रुप से भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन और कांग्रेसी उम्मीदवार मनीष तिवारी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है।
यहां देखने वाली बात यह होगी कि चंडीगढ़ की जनता इस बार आखिर किस उम्मीदवार पर अपना भरोसा जताती है। दोनों उम्मीदवार यानि तिवारी और टंडन बिना रुके, बिना थके सक्रिय हैं। दोनों ही रोजाना चंडीगढ़ के अलग-अलग सैक्टर्स में अपनी-अपनी रैलियां निकाल कर लोगों को वोट देने के लिए जागरूक करते दिखाई दे रहे हैं। सभी रुके हुए कामों को पूरा कराने का दावा भी कर रहे हैं।
भले ही बीजेपी के उम्मीदवार टंडन पहली बार लोस चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन वह लंबे अरसे से चंडीगढ़ में राजनीतिक तौर पर सक्रिय हैं। दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के साथ ही तिवारी दिल्ली के अलावा पंजाब में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। पंजाब की राजधानी होने के कारण उनका चंडीगढ़ से होकर ही आना-जाना रहा है। इसके अलावा उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी चंडीगढ़ से है। तिवारी लुधियाना से सांसद बनकर केंद्रीय मंत्री रहे। फिर श्री आनंदपुर साहिब से सांसद बने। इस बार कांग्रेस हाईकमान ने उनको चंडीगढ़ से चुनाव लड़ने भेजा। दूसरी तरफ, बीजेपी ने टंडन पर बड़ा सियासी-दांव खेला है।
इस सबके बीच चंडीगढ़ की जनता का यह तो साफ नजरिया लग रहा है कि भले ही इन दोनों से कोई भी जीते, लेकिन उनकी समस्याएं हल होनी चाहिएं। वैसे भी सियासी-जानकार मानते हैं कि चंडीगढ़ के जागरुक मतदाता नेताओं की कोरी जुमलेबाजी और लुभावने वादों पर भरोसा नहीं करते हैं। वह एक तरह से उम्मीदवार की राजनीतिक-पृष्ठभूमि यानि उसके कामकाज का आंकलन करके ही मतदान का फैसला लेते हैं।
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