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मुद्दे की बात : आखिर क्या, कब हल निकलेगा किसान आंदोलन का ?

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किसान आंदोलित, सरकारें सम्मोहित, जनता आक्रोशित

एक तरफ कई चरणों में लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है तो दूसरी तरफ दूसरे चरण का किसान आंदोलन भी चल रहा है। ऐसे हालात में किसान आंदोलित हैं तो केंद्र और राज्यों की सरकारें चुनावी-महत्वकांक्षाओं के चलते सम्मोहित हैं। खासतौर पर किसान आंदोलन से प्रभावित पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारें इस मामले में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा सकी हैं। जबकि राज्य सरकारों के साथ तालमेल कर किसी भी ज्वलंत समस्या को सुलझाने के लिए जिम्मेदार केंद्र सरकार भी कोई सार्थक पहल इस मामले में करने में नाकाम रही है।

कुल मिलाकर, पंजाब-हरियाणा के किसानों के साथ दूसरे राज्यों के भी कुछ किसान मोर्चे पर डटे हैं। पंजाब-हरियाणा में रेल और सड़क मार्ग तक प्रभावित हैं। ट्रेनें कैंसिल करनी पड़ रही हैं। किसानों के निशाने पर केंद्र सरकार और भाजपा है। लिहाजा खासतौर पर पंजाब में लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान बीजेपी उम्मीदवारों का आए दिन विरोध हो रहा है। हरियाणा में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं।

इस सबके बीच आम आदमी और खासकर कारोबारी हैरान परेशान हैं। आम लोगों के बहुत से जरुरी कामकाज में किसानों के आंदोलन से खलल पैदा हो रहा है। जबकि कारोबारी खुद को सबसे ज्यादा प्रभावित मान रहे हैं। कारोबारियों समेत आम लोगों में भी अब केंद्र के साथ ही पंजाब व हरियाणा की राज्य सरकारों के खिलाफ रोष बढ़ रहा है। आम आदमी जानना चाह रहा है कि आखिर उसकी क्या गलती है ? आंदोलित किसानों को अगर आम लोग समझाना भी चाहें तो वे अधिकारिक तौर पर उनसे कोई वादा नहीं कर सकते हैं। यह काम तो सरकारों का है, अगर किसान आंदोलन को लेकर जिद पर अड़े हैं तो यह सीधेतौर पर केंद्र और राज्य सरकारों की नाकामी का सबूत है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकालना संभव है। ऐसा देश में कई बार देखने को मिला है। किसान तो फिर भी काफी हद तक लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन चला रहे हैं। इतिहास के पन्ने पलटे तो अलोकतांत्रिक तरीके से यानि हिंसात्मक होकर आंदोलन चलाने वालों से भी सरकारें बातचीत कर बड़े-बड़े मसले हल कर चुकी हैं। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारें अपनी संवैधानिक-नैतिक जिम्मेदारी से कतई पल्ला नहीं झाड़ सकतीं। सरकारें ध्यान रखें कि इतिहास इस बात का भी गवाह है कि हालात बेकाबू होने पर देश या राज्य में आंदोलनों के चलते कई बार अराजकता की स्थिति पैदा हो जाती है।

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