ज्योति गुप्ता
शाक+आहार इस दो शब्दों से मिलकर बना है शाकाहार। वास्तव में शाकाहार ही सम्पूर्ण एवं उत्तम आहार है जो हमारे शरीर को बिना कोई नुकसान पहुंचाये शरीर की सभी आवश्यकताओं की सही अर्थो में पूर्ति करता है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त सभी खाद्य वस्तुओं जैसे हरी शाक-सब्जी, फल, दालें, अनाज, दूध आदि सभी में मनुष्य के शरीर के लिये सभी आवश्यक पोषक पदार्थ जैसे- प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा भरपूर मात्रा में होते हैं। अत: हमें अपने शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये मांसाहार की कतई आवश्यकता नहीं है।
पहले माना जाता था कि अण्डा तथा अन्य मासाहारी पदार्थो में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है परंतु अब वैज्ञानिकों तथा डाक्टरों ने इस तथ्य को नकार दिया है। प्रयोगों से यह सिद्घ हो चुका है कि शाकाहारी पदार्थो में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा खनिजों की मात्रा मांसाहारी पदार्थो से कही अधिक होती है। उदाहरण के तौर पर सोयाबीन के प्रति 100 ग्रा. में प्रोटीन 43.2 प्रतिशत तथा मूंग व मूंगफली के प्रति 100 ग्रा. में क्रमश: 24.0 प्रतिशत तथा 31.9 प्रतिशत प्रोटीन होता है। जबकि अण्डा, मछली व बकरे के मांस में क्रमश: केवल 13.3, 22.6 तथा 18.5 ग्राम प्रोटीन होता है। इसी प्रकार शाकाहारी भोज्य पदार्थो में खनिज, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन्स की मात्रा भी मांसाहारी पदार्थों की तुलना में कही अधिक होती है।
एक बहुत पुरानी कहावत है ”जैसा खाये अन्न, वैसा होय मन’ अर्थात हम जो कुछ भी खाते है उसका हमारी मानसिक स्थिति पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि शाकाहारी व्यक्ति दयालु,संवेदनशील, कोमल मन वाले तथा सात्विक प्रवृति वाले होते हैं वहीं उसके विपरीत मांसाहारी व्यक्ति क्रूर, हिंसक, कठोर हृदय वाले तथा तामसिक प्रवृतियों वाले होते हैं।
शाकाहारी पदार्थो में जहां दालें प्रोटीन की खान हैं तो फल व हरी सब्जियां विटामिन्स का भंडार हैं। रेशेदार फल पाचन में सहायक है तो गेहंू व चावल कार्बोहाइड्रेट का खजाना है। आलू तथा अरबी स्टार्च से युक्त है तो दूध कैल्शियम से भरपूर है जो दांतों व हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।
शाकाहारी पदार्थ फल, सब्जियां सिर्फ शरीर को पोषण ही प्रदान नहीं करते बल्कि कई पदार्थ तो बहुत सी बीमारियों के उपचार में भी सहायक होते हैं। उदाहरण के तौर पर लहसुन कोलेस्ट्राल कम करता है। अत: हृदयरोगियों को प्रतिदिन 5-6 कली लहसुन खाने की सलाह दी जाती है। पालक व अनार आयरन से भरपूर होता है अत: एनीमिया के रोगियों के लिये उनका सेवन किसी दवा से कम नहीं। डायबिटीज के रोगियों के लिये करेले के रस का सेवन रामबाण औषधि है तो जामुन की गुठली का चूर्ण भी डायबिटीज से शत्रुता निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। अदरक की चाय सर्दी खांसी में राहत देती है तो केला दस्त में राहत पहुंचाता है। नवजात शिशुओं को तो भोजन के रूप में प्रथम परिचय ही केले से करवाया जाता है। गाजर के सेवन से नेत्र ज्योति शर्तिया बढ़ती है। आंवला विटामिन सी का भंडार है जो अन्य कई बीमारियों से लडऩे की क्षमता रखता है। विशेष बात यह है कि गर्म करने पर भी आंवले का विटामिन सी नष्ट नहीं होता। अत: जिस भी रूप में चाहे उसका सेवन कर सकते हैं।
उसके विपरीत मांसाहारी पदार्थ अनेक बीमारियों के जनक होते हैं। दरअसल मुर्गियों आदि को जिन दड़बों आदि में रखा जाता है वहां एक ही पिजरे में इतनी मुर्गियां रख दी जाती है कि वे चलना फिरना तो दूर ठीक ढंग़ से सांस भी नहीं ले पाती। फलस्वरूप वे अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं। रोगग्रस्त मुर्गी के अंडे तथा मांस के सेवन से उसमें उपस्थित हानिकारक बेक्टीरिया तथा वायरस मनुष्य के शरीर में पहुंच जाते हैं तथा अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न कर देते हैं। फलस्वरूप हमारा शरीर भी रोगग्रस्त हो जाता है। इसी प्रकार जिस जानवर के मांस का प्रयोग हम भोजन के रूप में करते हैं हो सकता है वे किसी बीमारी से ग्रसित हो। बीमार जानवर का मांस खाने से वे सभी बीमारियां मनुष्यों में आ जाती हैं तथा व्यक्ति को रोगग्रस्त होते देर नहीं लगती। यह भी सिद्घ हो चुका है कि मांसाहारी पदार्थो मेें कोलस्ट्राल बहुत अधिक होता है। जिससे हृदयरोग, किडनी व लीवर की बीमारियां होने की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। यही कारण है कि शाकाहारी व्यक्ति मांसाहारी व्यक्तियों की अपेक्षा हृदय रोग एवं अन्य बीमारियों से अपेक्षाकृत कम पीडि़त होते हैं। वैज्ञानिक तो यह भी दावा करते हैं कि मांसाहार लगभग 160 बीमारियों का जनक होता है।
कहने का तात्पर्य यही है कि हमारे शरीर की कोई भी ऐसी आवश्यकता नहीं है जो शाकाहार के द्वारा पूरी न हो सके या कहें कि जिन्हें पूरी करने के लिये मांसाहार की आवश्यकता पड़े। अत: शाकाहार ही उत्तम आहार है। यदि हम अपना खानपान तथा दिनचर्या नियमित कर उचित आहार विहार का पालन करें तो निश्चय ही आधी से अधिक बीमारियों का निदान तो स्वत: ही हो जायेगा या कहें कि बीमारियां पैदा ही नहीं होंगी। तो क्यों न हम आज से ही शाकाहार को अपना कर निरोगी जीवन जीने में स्वयं की मदद करें तथा स्वस्थ एवं निरोगी समाज की नींव रखें। (विभूति फीचर्स)