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किसानों ने चंडीगढ़ के किसान भवन में रखी खुली डिबेट, मंच पर बीजेपी नेताओं की सीटें लगाई, कोई नहीं पहुंचा

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अब ‘जुबानी-जंग’ के मोर्चे पर डटे किसानों से परेशान हो
भाजपा बोली, सही न्यौता नहीं दिया, नेता मीटिंग में बिजी

नदीम अंसारी
लुधियाना 23 अप्रैल। अब तक संयुक्त किसान मोर्चे की अगुवाई में किसान भाजपा के खिलाफ धरने प्रदर्शन के साथ घेराव अभियान चला रहे थे। बीजेपी नेताओं और लोकसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों का पूरे पंजाब में घेराव कर किसान 11 सूत्रीय सवालों के जवाब मांग रहे थे। नई रणनीति के तहत किसानों ने यह जुबानी-जंग तेज करते हुए राजधानी चंडीगढ़ में मंगलवार को खुली डिबेट रख दी।
बीजेपी को खुली डिबेट की चुनौती देकर किसानों ने बाकायदा किसान भवन में इंतजाम कर डाले। मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष के नाम-तस्वीरों वाली तख्तियां भी कुर्सियों पर सजा दीं। किसान नेताओं ने कई घंटों तक भाजपा नेताओं का इंतजार किया l हालांकि बीजेपी का पक्ष बताने के लिए कोई नुमाइंदा तक वहां नहीं पहुंचा। इसके बाद किसान नेताओं ने वहीं प्रेस कांफ्रेंस कर अपना पक्ष रखते हुए भाजपा को किसान विरोधी और भगोड़ा कर दिया। साथ ही चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों व नेताओं के घेराव की मुहिम जारी रखने की चेतावनी दोहराई।

किसानों ने न्यौता नहीं दिया : इस मामले में भाजपा के प्रवक्ता विनीत जोशी के मुताबिक किसानों के मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार शुरू से गंभीर रही है। चंडीगढ़ में कई दौर की बातचीत की गई। जहां तक आज की बहस का मामला है तो बीजेपी नेताओं को कोई इन्विटेशन नहीं दिया गया और ना ही किसी ने टाइम लिया। आज भाजपा नेता लुधियाना और जालंधर में चुनाव को लेकर मीटिंगों में बिजी हैं।
बीजेपी ने ही डिबेट की चुनौती दी : किसान नेताओं ने पलटवार करते दावा किया कि बीजेपी के सीनियर नेताओं ने टीवी पर डिबेट के दौरान कहा था कि किसान बार्डर बिना मतलब बैठे हैं। इनकी मांगे बिल्कुल उचित नहीं हैं। हमारे उम्मीदवारों से सवाल पूछने के बजाए टीवी पर आकर बहस करें। इसलिए हमने ही खुली डिबेट रखी दी। भाजपा नेताओं से पहले जगह तय करने को कहा था, लेकिन इन्होंने कुछ नहीं किया। अब किसानों ने सेक्टर-35 किसान भवन को चुना है। चार किसान नेता पूरा दिन तथ्यों व आंकड़ों के साथ वहां पर बैठे रहे। भाजपा उम्मीदवार सवाल पूछने पर भागते हैं। ऐसे में खुद किसानों को ही डिबेट कॉल देनी पड़ी।
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