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कांग्रेस में भगदड़ :  करमजीत चौधरी गईं भाजपा में, दूसरे बिट्‌टू भी हाथ का साथ छोड़ कमल खिलाएंगे

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दो बार एमपी रहे मोहिंदर केपी चले तकड़ी संभालने !

कांग्रेस के कई छोटे-बड़े नेता लगातार छोड़ रहे पार्टी

 

नदीम अंसारी

लुधियाना/20 अप्रैल। लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब में मौकापरस्ती की सियासत का पारा चढ़ने से कांग्रेस तो ‘हीट-स्ट्रोक’ का खतरा झेल रही है। वैसे तो बाकी प्रमुख पार्टियों को भी दल-बदलुओं के चलते नुकसान हो रहा है, लेकिन कांग्रेस में तो भगदड़ वाले हालात बने हैं। चौबीस घंटे के दौरान ही बीजेपी ने कांग्रेस-कैंप में जोरदार सर्जिकल-स्ट्राइक कर बड़े नाम वाले दो नेता अपने पाले में कर लिए। जबकि तीसरे बड़े नेता पर शिरोमणि अकाली दल-बादल की खास नजर है।

चौधरी परिवार की अनदेखी पड़ी महंगी : भूतपूर्व सांसद संतोख चौधरी की पत्नी करमजीत चौधरी की टिकट काटकर कांग्रेस ने बड़ी सियासी गलती की। पिछले विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर हार चुके पूर्व सीएम चरणजीत चन्नी को जालंधर से उम्मीदवार बना दिया। जालंधर में चौधरी के समर्थक व जानकार पहले ही ऐसी आशंका जता चुके थे कि इस गलती से कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा। चौधरी के बेटे बिक्रम चौधरी विधायक हैं और पत्नी करमजीत कौर जालंधर लोस सीट से उप चुनाव लड़कर हार गई थीं। कांग्रेस हाईकमान ने उनका टिकट काटने के बाद डैमेज-कंट्रोल के तहत उनको होशियारपुर सीट पर भेजना चाहा। मगर चौधरी परिवार अपनी कर्मभूमि बता जालंधर न छोड़ने की बात पर अड़ गया। नतीजतन, शनिवार को करमजीत कौर बीजेपी में शामिल हो गईं। हालांकि आशंका के बावजूद उनके बेटे भाजपा में नहीं गए।

तेजिंदर बिट्‌टू ने हिमाचल तक करा दी फजीहत : हिमाचल कांग्रेस के सह-प्रभारी तेजिंदर सिंह बिट्टू ने दिल्ली में भाजपा जॉइन कर ली। बता दें कि लंबे वक्त से कांग्रेस से जुड़े बिट्टू को कांग्रेस ने जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की कमान सौंपी थी। बताते हैं कि पार्टी में गुटबाजी के चलते बिट्‌टू को साइड-लाइन करने की रणनीति के तहत हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का सह-प्रभारी लगा दिया था। जबकि राजनीतिक महत्वकांक्षा के चलते वह पंजाब में ही कोई बड़ी जिम्मेदारी या टिकट के तौर पर इनाम चाहते थे। अब चुनावी माहौल में उनके बीजेपी में जाने से कांग्रेस की पंजाब के साथ ही हिमाचल में भी खासी फजीहत हो गई।

केपी का जाना भी बड़ा झटका होगा : दो बार एमपी, पंजाब कांग्रेस के प्रधान रहे मोहिंदर सिंह केपी भी जालंधर से ताल्लुक रखते हैं। सूत्रों के मुताबिक टिकट न मिलने और पार्टी संगठन में उपेक्षा के चलते केपी असंतुष्ट थे। लिहाजा शिरोमणि अकाली दल-बादल उन पर डोरे डाल चुका है। शिअद सुप्रीमो की उनसे गुप्त-बैठक हो चुकी है। अकालियों को जालंधर और होशियारपुर में चर्चित चेहरे वाले दलित उम्मीदवारों की अभी तक तलाश है। ऐसे में मुमकिन है कि आज-कल में ही केपी के भी हाथ का साथ छोड़ने की खबर सामने आ जाए।

 

 

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