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हार्दिक, हार्दिक से हाय हाय हार्दिक तक

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संदीप शर्मा

किसी भी क्षेत्र में सफलता का स्वाद चखना आसान नहीं है। कठिन परिश्रम, सतत प्रयास के बाद जो सफलता का मुकाम हासिल होता है उस पर टिके रहना और विनम्रतापूर्वक टिके रहना हर किसी के बूते की बात नहीं है। अब आईपीएल सीजन 16 में मुंबई इंडियन्स के कप्तान हार्दिक पंड्या को ही ले लीजिए। एक सफल क्रिकेटर होने के बावजूद अगर आज हार्दिक पंड्या दर्शकों की हूटिंग का सामना कर रहे हैं तो इसके लिए हार्दिक के सिवाय किसी और को जिम्मेदार ठहराना कितना उचित होगा यह कह पाना मुश्किल है।

बीते एक आठ नौ वर्षों की टीम इंडिया के लिए हार्दिक पंड्या का प्रदर्शन वास्तव में काबिलेतारीफ रहा है। कितने ही मौकों पर हार्दिक ने टीम इंडिया की जीत में अपने बल्ले और बाॅल से न केवल उम्दा प्रदर्शन किया है बल्कि अपने बलबूते पर मैच के नतीजे भी बदले हैं। ये हार्दिक पंड्या के हरफ़नमौला खेल का ही परिणाम है कि बहुत से क्रिकेट प्रशंसक उनमें बीते जमाने के महान आलराउंडर कपिल देव की छवि देखते हैं। आईपीएल के कई सीजन हार्दिक पंड्या के बेहतरीन खेल के लिए याद किए जाते रहे हैं। हार्दिक की कप्तानी में गुजरात टाइटन्स आईपीएल का खिताब जीतने में कामयाब रहा है।

आईपीएल के 16वें सीजन में हार्दिक ने गुजरात की टीम को अलविदा कह मुबंई में फिर से घर वापसी की। न केवल घर वापसी की बल्कि रोहित शर्मा की जगह पर कप्तान भी बने हैं। एक कप्तान के तौर पर हार्दिक मुबंई के लिए कुछ कर पाते या नहीं इससे पहले ही हार्दिक दर्शकों की हूटिंग से शिकार होते रहे। हालांकि हार्दिक और विवादों का बड़ा पुराना नाता रहा है। लेकिन आईपीएल के सीजन 16 में अब तक हुए मैचों में ना ही हार्दिक का बल्ला चला है, ना गेंद और ना ही उनकी कप्तानी ही कुछ खास रही है। ऐसे हालात में हार्दिक के लिए यह मंथन का दौर है,अपने को साबित करने का समय है। जहां तक दर्शकों के गुस्से की बात है तो अगर हार्दिक अपने स्वभाव में आक्रामकता के स्थान पर विनम्रता लाते हैं और खेल में निरंतरता लाते हैं तो जो दर्शक आज हार्दिक हाय,हाय कर रहे हैं वो ही दर्शक हार्दिक,हार्दिक कहकर पंड्या का इस्तकबाल करने में पीछे नहीं रहेंगे।

क्रिकेट के जानकार यह भी आरोप लगाते हैं कि हार्दिक पंड्या मैदान में अपनी मनमानी करने से भी नहीं चूकते हैं। मसलन नियमित गेंदबाज होने के बावजूद हार्दिक कई मर्तबा मैच का पहला ओवर खुद ही फेंकने का लोभ संवरण नहीं कर पाते हैं। ऐसा भी कई बार देखा गया है कि अगर कोई बल्लेबाज अपने अर्द्ध शतक या शतक के नजदीक होता है तो हार्दिक चौका या फिर छक्का मारकर मैच जिताने की जल्दबाजी करने से बाज नहीं आते हैं। ऐसे में साथी बल्लेबाज की मनोदशा का हार्दिक शायद ही अंदाजा लगा पाते हों।

जिस देश में क्रिकेट को लेकर जुनून है उस देश में क्रिकेटर का समर्थन और विरोध करने का हक तो दर्शकों का बनता ही है।

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