watch-tv

अनेकता में एकता ‘बैसाखी’ की विशेषता

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

संदीप शर्मा

हमेशा से ही अनेकता में एकता भारत की विशेषता रही है। भारतवर्ष की इस विशेषता को समझने,जानने के लिए बहुत ज्यादा दिमागी कसरत करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इकबाल साहब का यह एक तराना बहुत ही सरल शब्दों में बयां कर देता है कि सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा। जिस तरह से साहित्य,संगीत और सिनेमा पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक भाषाई और भौगोलिक विविधता के बावजूद एकता की डोर में बांधने का काम करते हैं। ठीक उसी तरह से तीज-त्योहार और लोक के उत्सव भी अनेकता में एकता भारत की विशेषता के दर्शन कराते हैं।

अब बैसाखी के पर्व को ही ले लीजिए। सनातन धर्म के पंचाग के अनुसार बैशाख माह की पहली तिथि को बैशाख पूर्णिमा आती है। बैशाख की इस पहली तिथि को ही बैसाखी पर्व मनाया जाता है। बैसाखी के इस एक पर्व को भारतवर्ष में किस-किस ढंग से मनाया जाता है इसके लिए हमें सबसे पहले पंजाब की सैर करनी होगी। पंजाब में बैसाखी का मतलब है किसान की गेहूं की फसल कटाई का पहला दिन। पंजाब में बैसाखी का मतलब है मेले,ठेले भंगड़ा और गिद्दा नाचने का दिन। पंजाब में बैसाखी का अर्थ है गुरुद्वारों में अरदास, कारसेवा और लंगर लगाने का दिन। पंजाब की तरह ही राजस्थान,हरियाणा, मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ में भी गेहूं की फसल कटाई का दिन है बैसाखी।

उत्तराखंड की तरफ चलें तो बैसाखी का पर्व यहां बिखौत के रुप में मनाया जाता है। गंगा,यमुना, सरयू,गोमती में पवित्र स्नान के साथ ही स्यालदे बिखौत और इगासर के मेले पहाड़ में बैसाखी की पहचान हैं।

उधर दक्षिण के केरल में बैसाखी को विशु पर्व के रूप में मनाया जाता है तो वहीं तमिलनाडू में बैसाखी की पहचान पुरथान्डु नववर्ष के रूप में है। उत्तर भारत की बैसाखी बंगाल में पाहेला बैशाख है तो बैसाखी के दिन ही पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में मंगल शोभाजात्रा का आयोजन किया जाता है। वहीं ओडिशा में बैसाखी महाविषुण संक्रांति नववर्ष का प्रतीक है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव संबंधी छाऊ नृत्य करने की परंपरा भी है। अन्न-धन्न के भंडार भरने वाले पावन पर्व बैसाखी आप सबके जीवन में समृद्धि और संतुष्टि लाए यही कामना है।

Leave a Comment