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गुस्ताख़ी माफ़

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गुस्ताख़ी माफ 11.4.2024

 

क्या करना रहकर यहां, खाली जब खलिहान।

जिस घर में चुग्गा मिले, भर ले उधर उड़ान।

भर ले उधर उड़ान, डालता है जो दाने।

उसकी छतरी बैठ, उसी के गा तू गाने।

कह साहिल कविराय, किसी से अब क्या डरना।

दल-वल जल्दी बदल, सोच ले क्या है करना।

 

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

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