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उड़दी-उड़दी : पंजाब का चुनावी-दंगल, हर अखाड़े में ‘अ-मंगल’

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नदीम अंसारी
खाने-पीने के शौकीन पंजाबी पहलवानी के भी माहिर है। लिहाजा अपने सूबे में लोकसभा चुनाव के दंगल को भी पहलवानों के दंगल की तरह ही देख रहे हैं। अपने खबरची को मंगलवार को किसी गांव में एक सथ यानि चौपाल में बैठे पहलवान टाइप बुजुर्ग और नौजवान आपस में सियासी चर्चा करते मिल गए। एक बुजुर्ग बोले, मुझे तो सारी पार्टियों के अखाड़ों में कुशल-मंगल नजर नहीं आ रहा। बात आगे बढ़ाते एक नौजवान बोला-सच बोला बापूजी, हर अखाड़े में ‘अ-मंगल’ ही है। अपने तकड़ी वाले सबसे पुराने अखाड़े के बड़े उस्ताद तो अब रहे नहीं। सारे पुराने पहलवान कसरत छोड़ घर जा बैठे थे। अब छोटे-उस्ताद यानि काकाजी बड़ों को मना-मनाकर पुराना अखाड़ा फिर से सजाने में जुटे हैं। मगर चुनावी-दंगल सज चुका है और यह टकसाली अखाड़ा भी सारे पहलवान तैयार नहीं कर पाया।
एक और नौजवान बोला, और देखो बापूजी, दूसरे पुराने पंजेवाले अखाड़े की हालत भी अच्छी नहीं है। इस अखाड़े के तो उस्ताद और सियासी-कुश्तियां जीत चुके कई दिग्गज पहलवान आपस में टांग-खिंचाई से तंग आकर इधर-उधर हो लिए। रही बात, तेजी से उभरे झाड़ूवाले अखाड़े में भी विरोधी अखाड़ेवालों ने झाड़ू फेर दी थी। अब इस अखाड़े के उस्ताद भी दूसरे अखाड़ों के पहलवानों पर जाल फेंक उनको काबू करने की मुहिम में जुटे हैं।
एक और नौजवान ने चुटकी लेते बताया कि चंदे की खुराक से खुद सेहतमंद हुए कमल वाले अखाड़े की हालत सबसे दिलचस्प है। उसके पास अखाड़ा तो खूब तगड़ा है, लेकिन पहलवानों का टोटा है। अब कमल अखाड़े वाले दूसरे अखाड़ों के पहलवानों को बेहतरीन डाइट और तमाम फेसिलिटीज के सुपर-ऑफर देकर धड़ाधड़ दूसरों के पहलवान बटोर रहे हैं। कोई शरारती बंदा रात के अंधेरे में इस अखाड़े के गेट पर ‘उधार वाले अखाड़े’ को बोर्ड टांग कर भाग गया। चौपाल में सारा हाल सुन रहे सियासी-पहलवान रहे एक बुजुर्ग ने लंबी सांस खींचकर रिजल्ट सुना डाला कि देख लेना, इस बार चुनावी-दंगल में नूरा-कुश्ती भी खूब होंगी, वो अंग्रेजी वाली डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की तरह, कई पहलवानों की लॉटरी लग सकती है, जो ग्रेट खली बन सकते हैं।
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