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गुस्ताख़ी माफ़

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गुस्ताख़ी माफ 7.4.2024

हर बाबा के पास है, भक्तों की भरमार।
थोड़ी भी यदि हो कृपा, बेड़ा लगता पार।
बेड़ा लगता पार, लगा देते जब धक्का।
जहां-जहां हैं भक्त, जीतना बिल्कुल पक्का।
कह साहिल कविराय, किये बिन शोर-शराबा।
गुपचुप झटकें कृपा, खड़ा उत्सुक हर बाबा।

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

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