चिट्ठियों वाले दौर में जिस तरह लैटर-बॉक्स का जलवा होता था, वैसे ही लुधियाना के नेता-ब्रदर्स का एक सुनहरा दौर था। जिले से निकले तो पूरे पंजाब में सियासी-नेटवर्क भी फैलने लगा था। मगर वे सियासी-हवा का रुख नहीं भांप सके। डंडे से जनता को हांकने वाला दौर तेजी से बदल रहा था और नेताजी ब्रदर्स यूपी स्टाइल की दंबग-राजनीति वाले ट्रैक पर ही दौड़ रहे थे, इसके साइड-इफेक्ट सामने भी आने लगे।
उनके खिलाफ दूसरे किस्म के तो मामले तो पुलिस तक पहुंचे ही, महिला विरोधी अपराध के मामले से सारा खेल बिगड़ गया। जानने वालों ने समझाया कि एचएमटी घड़ी, लैंब्रेटा स्कूटर से लेकर लैटर-बॉक्स तक हाईटेक दौर में हवा हो गए, अपने को बदलो। अब स्मार्ट पॉलिटिक्स का दौर है, हाईटेक हो चुकी पब्लिक सब जानती है। खैर, ताजा हालात ये हैं कि नेताजी ब्रदर्स के शुभचिंतक अब चुनावी माहौल में उनकी सियासी-हवा बनाने में जुटे हैं। कभी उनके कमल खिलाते तो कभी झाड़ू घुमाने और अब हाथ मजबूत करने की अफवाहें उड़ाई जा रही हैं।
मगर खबरची चटखारेदार जानकारी उड़ा लाया कि कमल वाले हों या झाड़ू वाले और अब चाहे पंजेवाले, सबके कैंप में सलाहकारों ने हाईकमान से लाख-टके का सवाल किया कि क्या गले में हड्डी बांधनी है, हमें भी तो आधी आबादी का वोट लेना है, जनता को क्या जवाब देंगे ?
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उड़दी-उड़दी : लैटर-बॉक्स की तरह आउटडेटेड हुए नेता-ब्रदर्स
Nadeem Ansari
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