अपनी नवां पंजाब पार्टी भी कर ली है कांग्रेस में मर्ज
कैप्टन-फेमली को चुनाव में हराने वाले इकलौते नेता
नदीम अंसारी
लुधियाना/यूटर्न/1 अप्रैल। सही कहा गया है कि सियासत में कुछ भी मुमकिन है। कभी कांग्रेस का विरोध कर आम आदमी पार्टी से पटियाला सीट पर जीतकर डॉ.धर्मवीर गांधी ने सबको चौंका दिया था। उन्होंने शाही खानदान को पहली बार चुनावी-शिकस्त देने का सेहरा भी अपने सिर बांधा था। उन्होंने पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर की धर्मपत्नी परनीत कौर को हराया था। सियासी-हालात तेजी से बदले, गांधी आप छोड़ नई पार्टी बना बैठे और फिर कैप्टन-परनीत कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले गए। सियासी-चक्र घूमा और अब पूर्व सांसद डॉ.धर्मवीर गांधी सोमवार से कांग्रेसी हो गए।
लगे हाथों, उन्होंने आप छोड़ने के बाद बनाई अपनी नवां पंजाब पार्टी को भी कांग्रेस में मर्ज करा दिया। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के नेता पवन खेड़ा ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। चुनावी-माहौल में डॉ.गांधी का पार्टी में आना पंजाब में कांग्रेस के लिए सियासी-ऑक्सीजन का काम करेगा। दरअसल पटियाला में भाजपा और शाही खानदान से चुनाव में निपटने के लिए वह कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं।
सियासी-सफर में भी चमके
बतौर चिकित्सक डॉ.धर्मवीर गांधी मरीजों के प्रति नैतिक व दयालु भाव के चलते पटियाला से भी बाहर पहचान बना चुके थे। साल 2014 में आप के टिकट पर पटियाला से सांसद बन राजनीतिक-पंडितों को चौंका दिया था। वह शाही-परिवार को हराने वाले इकलौते नेता बने। दिग्गज होने के बावजूद कांग्रेसी उम्मीदवार महारानी परनीत कौर की हार का अंतर करीब 21 हजार होने की वजह से तब पार्टी के चुनावी-रणनीतिकार भी चिंतित हो गए थे।
सलीके से कसे तंज :
कांग्रेस में शामिल होने के बाद डॉ. गांधी ने शाही परिवार पर मर्यादा के दायरे में सलीके से तंज कसे। वह युवा अवस्था में वामपंथियों से प्रभावित रहने से मुद्दों पर सटीक कमेंट के माहिर हैं। बोले, मैंने लोस चुनाव लड़ने को कांग्रेस जॉइन नहीं की। अगर पार्टी चुनाव में उतारेगी तो अलग बात है। सांसद परनीत कौर के बारे में कहा कि वह महारानी हैं, महज इसलिए उनकी हार नहीं चाहता। मैं इसलिए उन्हें हराना चाहता हूं, क्योंकि वह भाजपा प्रत्याशी हैं। उन्होंने उस पार्टी को चुना, जो लोक-विरोधी यानि लोकतंत्र विरोधी है।
पटियाला से टिकट तय !
डॉ.गांधी की निर्विवाद-छवि के कारण कांग्रेस के कई सीनियर नेता भी दावा कर रहे हैं कि अब तो वही पटियाला से पार्टी के उम्मीदवार बनेंगे। वैसे भी शाही-परिवार को उनके अलावा बाहर से जाकर कोई उम्मीदवार चुनौती नहीं दे सकता है। साल 2014 लोस चुनाव में खुद ही गांधी यह साबित भी कर चुके हैं।
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