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गुस्ताख़ी माफ़ 29.3.2024
पोल पुरानों की खुली, वोटर हुए ख़िलाफ़।
मुखड़े-कपड़े ना रहे, इनके चिट्टे-साफ़।
इनके चिट्टे साफ़, ढूंढ़िए नये-नवेले।
दिखें न धब्बे-दाग़, गुप्त हों सभी झमेले।
कह साहिल कविराय, लोग हैं बड़े सयाने।
टिकट नयों को बांट, बदल दें सभी पुराने।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल