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गुस्ताख़ी माफ़

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गुस्ताख़ी माफ़ 27.3.2024

 

नेता को केवल तभी, आते याद शहीद।

जब पूरी होती दिखे, वोटों की उम्मीद।

वोटों की उम्मीद, कौम यह बड़ी सयानी।

नेता देखा कभी, कहीं करता कुर्बानी।

कह साहिल कविराय, फ़ायदा पूरा लेता।

देता जान शहीद, उड़ाता मौज़ें नेता।

 

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

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