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हम सभी बात तो बदलाव की करते हैं पर उसके लिए खुद को बदलना नहीं चाहते : जैन साध्वी डा.सुयशा जी महाराज 

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रघुनंदन पराशर जैतो

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जैतो,28 मार्च : देश की जानी-मानी जैन साध्वी डा.सुयशा जी महाराज ने आर.वी.शांति नगर स्थित जैन साधक केंद्र जैतो में आयोजित धार्मिक समागम में प्रवचनों की अमृमवर्षा करते हुए कहा हमारी आज की एक अलग ही महत्व स्टोरी कुछ ऐसी है जिस को पढ़ कर आपकी सोच बदल जाएगी। हम सभी बात तो बदलाव की करते लेकिन उसके लिए खुद को बदलना नही चाहते या फिर ऐसा सोच कि रह जाते कि सिर्फ हमारे अकेले के करने से क्या होगा। चलिए एक कहानी पढ़ते है इसके द्वारा समझने में आसानी होगी कि छोटा सा बदलाव किस कदर महत्वपूर्ण है।एक लड़का सुबह- सुबह तालाब के किनारे दौड़ने को जाया करता था,एक बूढी महिला को देखता था | वो बूढी महिला हर रोज तालाब के किनारे छोटे छोटे कछुवों की पीठ को साफ़ किया करती थी | लड़का यह सब हर रोज देखता ।एक दिन उसने सोचा कि इस का क्या कारण हो सकता। वो लड़का उस बूढी महिला के पास गया और उनका अभिवादन किया – नमस्ते आंटी जी ! और पूछा कि मैं आप को हर रोज कछुवों की पीठ को साफ़ करते हुआ देखता हू। आप यह क्यू करती हो ???बूढी महिला ने बड़े प्यार से लड़के को देखा और बोला बेटा मै यहा हर रविवार आती हु। मुझे इन कछुवों की पीठ को साफ (कर के अछा लगता है। अंदर से शांति ( का अनुभव होता है।क्योंकि इनकी पीठ पर जो कवच होता है, उस पर कचरा जमता जाता है जिस की वजह से इनकी गर्मी पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है। इसलिए इन कछुवे को तैरने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है, अगर कुछ समय बाद तक अगर ऐसा ही रहे, इस को साफ ना किया जाए तो ये कवच भी कमजोर हो जाते है। जिस से इनकी ज़िंदगी भी खतरे में पड़ जाती है। इसलिए मै इन कवच को हर रविवार साफ करने आती हू ।यह सुनकर लड़का बड़ा हैरान हुआ | उसने फिर एक जाना पहचाना सा सवाल किया और बोला “बेशक आप बहुत अच्छा काम कर रहे है लेकिन फिर भी एक बात सोचिये कि इन जैसे कितने कछुवे है, जो इनसे भी बुरी हालत में है। जबकि आप सभी के लिए ये नहीं कर सकते तो उनका क्या क्योंकि आपके अकेले के बदलने से तो कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा |

बूढ़ी महिला मुस्कुराई और बोलीं भले ही मेरे ऐसा करने से दुनिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा लेकिन सोचो इस एक कछुवे की तो पूरी दुनिया बदल जाएगी | इसके लिए तो ये बहुत बड़ी बात होगी…बस यहीं सोच कर मुझे खुशी और सुकून मिल जाता है.. कि मैं दुनिया को तो नहीं बदल सकती लेकिन मैंने किसी की दुनिया तो बदल दी।दोस्तो हो सकता है कि आपके अकेले आगे बढ़ कर कुछ करने से इस दुनिया में कोई बहुत बड़ा बदलाव न आये लेकिन ऐसा जरुर होसकता है कि किसी एक की जिंदगी बदल जाए। सोच कर देखिये आपकी वजह से किसी एक की जिंदगी बदल जाए तो आपको कितना सुकून और ख़ुशी महसूस होगी।जैसे बूंद – बूंद पानी से समुंदर बन जाता है, वैसे ही हजारों लोगों द्वारा किये गये छोटे छोटे प्रयास एक दिन इस समाज में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं, तो हमे भी इन छोटे छोटे बदलाव से ही शुरुआत करनी चायिए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरणा दीजिए।

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