फिर शिअद में उठ रहे बागी-सुर !
लुधियाना 24 मार्च। एक तरफ लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शिरोमणि अकाली दल-बादल को फिर से एकजुट करने की कवायद जारी है। दूसरी तरफ पार्टी में एक बार फिर से लुधियाना लोकसभा हल्के में ही अकाली-कैंप से बगावत के सुर उभरने लगे हैं।
इस लोस सीट के दाखा हल्के से अकाली विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने फेसबुक पर अपना एक वीडियो अपलोड किया है। जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ शिअद के गठजोड़ को लेकर सलाह देने वाले अंदाज में अपनी पार्टी के हाईकमान को एक तरह से चेतावनी भी दी है। सियासी जानकारों का कयास है कि अगर शिअद सुप्रीमो ने अयाली की सलाह को नजरंदाज करते हुए भाजपा से गठजोड़ किया तो उनके बागी-सुर तेज भी हो सकते हैं।
यहां बताते चलें कि पिछले विस चुनाव में इस लोस सीट से इकलौते दाखा हल्के से अयाली ने ही जीत हासिल की थी। जबकि कांग्रेस तो इस लोस सीट पर खाता तक नहीं खोल पाई थी। ऐसे हालात में शिअद हाईकमान ने अयाली की उपलब्धि का रिटर्न-गिफ्ट उनको विधानसभा में पार्टी विधायक दल का नेता नियुक्त करके दिया था। भले ही पंजाब में शिअद के दो विधायक और भी थे। इसे डैमेज-कंट्रोल भी माना गया था, क्योंकि अयाली पार्टी हाईकमान की कारगुजारियों पर नाखुशी जता चुके थे। उनके बागी अकालियों के साथ जाने के संकेत मिल रहे थे।
काफी समय से पार्टी गतिविधियों से दूर नजर अयाली का ताजा वीडियो एकाएक चुनावी समय में सामने आने से सियासी-हलचल शुरु हो गई है। विधायक अयाली ने इस वीडियो में पार्टी हाईकमान को सलाह दी है कि वह पंथक मसलों पर विचार करके ही भाजपा से गठजोड़ किया जाए। उन्होंने जो कहा, उसका सार यही है कि पंथक मसलों में किसान, भाई अमृतपाल सिंह की रिहाई, बंदी सिंहों की रिहाई आदि मुद्दे शामिल हैं। जब तक इन मुद्दों का समाधान नहीं होता, पार्टी हाईकमान का तब तक तो भाजपा से समझौता नहीं करने का फैसला सराहनीय ही माना जाएगा।
हाईकमान को याद दिलाया सियासी-फर्ज : अयाली ने यह भी कहा कि शिअद पंजाब की पंथक पार्टी है। इस पार्टी का इतिहास गौरवमयी रहा है। शिअद ने कई मोर्चे पंजाब के हित के लिए लगाए है। आने वाले समय में पार्टी के सीनियर नेताओं को पंजाब के मुद्दों पर डटकर खड़े होना चाहिए। यदि ऐसा फैसला पार्टी लेती है तो लोग भी उन्हें जरूर समर्थन देंगे।
डिफेंसिव दांव भी खेला : इसी वीडियो में अयाली ने डिफेंसिव-दांव भी खेलते हुए अपने विचारों को पार्टी हित में करार देने वाले अंदाज में बगावती-तेवर जैसी बात को खारिज भी किया। उन्होंने कहा कि कुछ समय से पार्टी लीडरशिप के साथ उनके जो वैचारक मतभेद हैं, वह पार्टी वर्करों के हितों के कारण ही हैं। इनमें मेरा कोई निजी स्वार्थ नहीं है। राजनीति में शिअद ने ही मुझे पहचान दी है। इसलिए वर्करों की भावनाओं की कद्र करने की जरुरत है। पार्टी हाईकमान व नेताओं से अपेक्षा जताते जोर देकर कहा कि निजी हितों को पीछे कर लोगों के मुद्दों पर पहरा देकर काम करने की जरूरत है।
लुधियाना में और नेता भी हुए थे खफा : शिअद में पहले भी लुधियाना से बागी-सुर तेज होते रहे हैं। पिछली बार सीनियर अकाली नेता जत्थेदार हीरा सिंह गाबड़िया समेत कई स्थानीय नेताओं ने परोक्ष-अपरोक्ष रुप से पार्टी हाईकमान के खिलाफ असंतोष जताया था। तभी लोस चुनाव का ऐलान होने के बाद से ही शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल पूरे सूबे में पार्टी के तमाम नेताओं को एकजुट करते घूम रहे हैं।
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